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Monday, December 1, 2025

चकिया में फर्जी डायग्नोस्टिक रैकेट का काला कारोबार: बिना डॉक्टर, बिना लाइसेंस चल रहे सेंटर, CMO बने मूकदर्शक

 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने चल रहा बड़ा खेल – नकली रिपोर्ट, फर्जी नाम, और मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़







चंदौली/चकिया। स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर योगी सरकार लगातार पारदर्शिता, जवाबदेही और कठोर कार्रवाई की बात करती है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे उलट दिखती है। चकिया कस्बे और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में फर्जी डायग्नोस्टिक सेंटरों का एक संगठित रैकेट खुलेआम फल-फूल रहा है। हैरानी की बात यह है कि यह पूरा खेल स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे, और कई बार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के ठीक सामने संचालित हो रहा है।





इस फर्जीवाड़े का सबसे बड़ा उदाहरण है केयर डायग्नोस्टिक सेंटर, चकिया, जो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चकिया के सामने ही बिना लाइसेंस, बिना पंजीकरण और बिना योग्य डॉक्टर के चल रहा है। यहाँ रोजाना सैकड़ों मरीज आते हैं और उन्हें वही रिपोर्टें दी जाती हैं जिन पर किसी ‘डॉक्टर’ के नाम की मुहर तो होती है, लेकिन मौके पर वह डॉक्टर मिलता नहीं।





सबसे बड़ा सवाल यह है कि—

क्या CMO चंदौली वाई.के. राय को इस खेल की खबर नहीं?

या फिर खबर होने के बावजूद कार्रवाई न करने के पीछे कोई ख़ास वजह?

स्थानीय लोगों का आरोप साफ है—"सीएमओ को सब पता है, लेकिन कार्रवाई नहीं कर रहे।"



इस रिपोर्ट में हमारी टीम ने चकिया और आसपास के डायग्नोस्टिक सेंटरों की जांच, स्थानीय लोगों के बयान, स्वास्थ्य विशेषज्ञों से राय और सरकारी नियम-कायदों का विश्लेषण कर पूरा सच सामने रखा है।

1. चकिया में डायग्नोस्टिक सेंटरों का बड़ा नेटवर्क – लाइसेंस नाम की चीज़ नहीं

चकिया बाजार, अस्पताल रोड, नगरीय मोहल्लों और ग्रामीण संपर्क मार्गों पर 25 से ज्यादा छोटे-बड़े डायग्नोस्टिक सेंटर चल रहे हैं।


इनमें—

अल्ट्रासाउंड सेंटर

ब्लड टेस्ट लैब

एक्स-रे यूनिट

इसीजी सेंटर

पैथोलॉजी लैब

थाइराइड/लिवर/किडनी टेस्ट यूनिट

जैसी सेवाएं प्रदान करने का दावा किया जाता है।


परंतु जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि—


✓ इनमें से 60–70% सेंटरों के पास न तो वैध लाइसेंस है, न ही कोई पंजीकरण।


✓ लैब में कार्यरत लोग डॉक्टर नहीं, बल्कि 10वीं-12वीं पास युवा हैं जिन्हें मशीन चलाने का मात्र प्रशिक्षण दिया गया है।


✓ रिपोर्ट पर डॉक्टर का नाम छपता है, लेकिन वह डॉक्टर मौके पर कभी नहीं मिलता।


यह सब कुछ सीधे-सीधे उपभोक्ता धोखाधड़ी और चिकित्सा अधिनियम के स्पष्ट उल्लंघन की श्रेणी में आता है।



2. केयर डायग्नोस्टिक सेंटर – सरकारी PHC के सामने ही अवैध सेंटर


चकिया के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ठीक सामने स्थित केयर डायग्नोस्टिक सेंटर इस रैकेट का सबसे चमकदार उदाहरण साबित हो रहा है।


स्थानीय नागरिकों ने बताया—

> “आज तक हमने यहां किसी डॉक्टर को बैठते नहीं देखा।

सिर्फ कंप्यूटर, मशीन और रिपोर्ट थमाने वाले दो-चार लड़के ही दिखते हैं।”

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