मिर्जापुर ( मीडिया टाइम्स )। जनपद में अवैध मादक पदार्थ बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस कप्तान द्वारा लगातार सख्त निर्देश जारी किए जाने के बावजूद जमीनी हकीकत इन आदेशों को मुंह चिढ़ाती नजर आ रही है।
जमालपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत गोरखपुर–देवरिया मार्ग के समीप स्थित एक विशाल इमारत में खुलेआम गांजा बिकने का मामला सामने आया है, जिसने पुलिस प्रशासन और आबकारी विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
स्थानीय लोगों के अनुसार, उक्त स्थान पर लंबे समय से गांजे की खुलेआम बिक्री हो रही है। न ग्राहकों को डर है, न बेचने वालों को कानून का खौफ। हैरानी की बात यह है कि गांजा बेचने वाले सेल्समैन का दावा है कि ऊपर से नीचे तक “सेटिंग” है। उसने कैमरे पर स्वीकार किया कि प्रशासन से लेकर आबकारी विभाग तक अंडरटेबल मैनेजमेंट के चलते यह अवैध धंधा बेधड़क चल रहा है। कथित वायरल वीडियो में उसने बताया कि पूरे नेटवर्क को संरक्षण प्राप्त है, इसी कारण किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
इस वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही विभागों में हड़कंप मच गया है। आम जनता सवाल उठा रही है कि जब अपराधी खुलेआम संरक्षण का दावा करते नजर आएं, तो कप्तान के आदेशों और सरकारी सख्ती का क्या औचित्य रह जाता है? लोगों का कहना है कि यदि वाकई वीडियो में किए गए दावे सत्य हैं, तो यह सिर्फ कानून व्यवस्था की विफलता नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के भ्रष्टाचार का प्रमाण है।
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय, स्वतंत्र जांच की मांग की है। साथ ही दोषी पुलिसकर्मियों व आबकारी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई, संबंधित स्थान पर तत्काल छापा तथा पूरे गांजा नेटवर्क के पर्दाफाश की मांग की जा रही है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि वायरल वीडियो के बाद प्रशासन और आबकारी विभाग महज औपचारिक बयान देकर मामला ठंडे बस्ते में डालते हैं या वास्तविक कार्रवाई कर अपने ऊपर लगे संरक्षण के आरोपों को झूठा साबित करते हैं। जनता की निगाहें अब पूरी तरह प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।





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