प्राथमिक विद्यालय गौरी में सहायक अध्यापक पर शिक्षामित्र को जातिसूचक शब्दों से अपमानित करने का आरोप,अधिकारी बने तमाशाबीन
चकिया,चंदौली। शिक्षा के मंदिर में गुरुजनों से अनुशासन,आदर्श और नैतिकता की उम्मीद की जाती है, लेकिन चंदौली जनपद के चकिया विकास खण्ड के प्राथमिक विद्यालय गौरी में तैनात सहायक अध्यापक दिलीप चौहान पर ऐसे आरोप लगे हैं, जिन्होंने पूरे विद्यालय वातावरण को दूषित और शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां तैनात सहायक अध्यापक दिलीप चौहान पर महिला शिक्षामित्र उर्मिला देवी को बार-बार जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर अपमानित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। पीड़िता का कहना है कि सहायक अध्यापक उन्हें बच्चों और रसोइयों के सामने जातिसूचक शब्दों से संबोधित करता है।
"रोज़ बेइज्जत किया जाता है, अब जीना मुश्किल हो गया है"– पीड़िता
शिक्षामित्र उर्मिला देवी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा –
“जब से हमारा समायोजन रद्द हुआ है, तब से हम पहले ही मानसिक और आर्थिक संकट झेल रहे हैं। दस हजार रुपये में परिवार का खर्च चलाना मुश्किल है। ऊपर से विद्यालय में हमें बार-बार गाली देकर अपमानित किया जाता है। रोज़ बच्चों और रसोइयों के सामने गाली सुननी पड़ती है। यह मेरे लिए असहनीय है।”
पुराना इतिहास भी विवादों से भरा
सूत्रों के अनुसार, सहायक अध्यापक दिलीप चौहान पहले प्राथमिक विद्यालय बैरी में कार्यरत थे। वहां भी विवाद और अनुशासनहीनता के कारण उन्हें हटाया गया था। लेकिन नेताओं और अधिकारियों से गहरे संपर्क होने के चलते विभागीय कार्यवाही आज तक नहीं हो सकी।
ग्रामीणों की नाराज़गी
विद्यालय परिसर में हो रही इस घटना से ग्रामीण और अभिभावक भी आक्रोशित हैं। गाँव के एक अभिभावकों ने कहा कि “विद्यालय बच्चों के संस्कार की जगह है। अगर शिक्षक ही जाति बता-बताकर गाली देंगे तो बच्चों को क्या शिक्षा मिलेगी? अधिकारियों को तुरंत इस सहायक अध्यापक के ऊपर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए।”
सहायक अध्यापक दिलीप चौहान
वहीं, एक ग्रामीण महिला शांति देवी ने कहा –
“हम अपनी बेटियों को पढ़ने भेजते हैं। अगर स्कूल में ही महिला शिक्षामित्र को गाली दी जाएगी तो बच्चियाँ कैसे सुरक्षित महसूस करेंगी?”
अधिकारियों की चुप्पी सवालों के घेरे में
गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक शिक्षा विभाग और प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अधिकारी जानबूझकर मामले को दबा रहे हैं क्योंकि आरोपी शिक्षक का “ऊपर तक” मजबूत नेटवर्क है।
ग्रामीणों और अभिभावकों ने एकजुट होकर मांग की है कि आरोपी शिक्षक को तत्काल विद्यालय से हटाकर उसके खिलाफ SC/ST एक्ट सहित कठोर कार्रवाई की जाए।
शिक्षामित्र उर्मिला देवी ने कहा –
“मेरा सम्मान मेरे लिए सबसे बड़ा है। जब तक दोषी पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक मैं चुप नहीं बैठूँगी।”
यह मामला केवल एक शिक्षामित्र की बेइज्जती का नहीं है, बल्कि पूरे शिक्षा तंत्र की साख का प्रश्न है। जब विद्यालय में शिक्षक ही जातिवाद और गुंडई करेंगे, तो बच्चों को क्या संस्कार मिलेगा?
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि प्रशासन इस गंभीर मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और पीड़िता को कब न्याय मिलता है।





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