कल्यानीचक देशी शराब की दुकान पर ओवररेटिंग का खेल, आबकारी विभाग चुप – सोशल मीडिया पर सेल्समैन का वीडियो वायरल होने के बाद भी अधिकारी खामोश
शिकारगंज /चकिया(चंदौली)। शिकारगंज क्षेत्र के कल्यानीचक में स्थित देशी शराब की दुकान पर खुलेआम उपभोक्ताओं से निर्धारित मूल्य से अधिक वसूली की जा रही है। 75 रुपये की बोतल यहां 85 से लेकर 100 रुपये तक बेची जा रही है। ग्रामीणों की मानें तो यह गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा है। हाल ही में दुकान पर ओवररेटिंग का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लेकिन इसके बाद भी आबकारी विभाग के अधिकारी कार्रवाई करने के बजाय चुप्पी साधे बैठे हैं।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो
कल्यानीचक शराब की दुकान पर ग्राहकों से की जा रही अवैध वसूली का एक वीडियो बीते दिनों सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। वीडियो में साफ दिख रहा है कि ग्राहक से निर्धारित मूल्य से अधिक पैसे लिए जा रहे हैं। इस वायरल वीडियो ने क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि विभाग तत्काल कार्रवाई करेगा, लेकिन अधिकारियों का रवैया देखकर यह उम्मीद भी टूट गई।
फोन उठाने से भी कतरा रही हैं अधिकारी
ग्रामीणों का कहना है कि जब उन्होंने शिकायत दर्ज कराने के लिए संबंधित आबकारी अधिकारी को फोन किया, तो उन्होंने फोन उठाना ही बंद कर दिया। लोग तंज कसते हुए कह रहे हैं कि “कार्रवाई तो दूर, अधिकारी शिकायत सुनना भी नहीं चाहते। कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें पहले से ही सब मालूम है?”
75 की शराब 100 तक बेची जा रही
ग्रामीण उपभोक्ताओं का कहना है कि 75 रुपये की शराब की बोतल दुकान पर कभी 85, तो कभी 100 रुपये में बेची जाती है। यह तय दाम से 25 रुपये तक अधिक वसूली है, जो पूरी तरह से अवैध है। उपभोक्ताओं का आरोप है कि मजबूरी में उन्हें यह अतिरिक्त पैसा देना पड़ता है, क्योंकि विकल्प न होने की वजह से वे किसी दूसरी जगह से शराब खरीद नहीं सकते।
कल्याणीचक शराब दुकान पर ओवररेटिंग का खेल, सेल्समैन बोला – “आबकारी विभाग सेटिंग में है, मालिक के सह पर चलता है सब”
सेल्समैन का विवादित बयान
ग्रामीणों के अनुसार दुकान पर तैनात सेल्समैन ने ग्रामीणों के सामने ही कहा –
“आबकारी विभाग सेटिंग में है। हर महीने बंधा महीना जाता है। मालिक के सह पर ही ओवररेटिंग का काम होता है, कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।”
इस बयान ने न केवल उपभोक्ताओं को झकझोर दिया, बल्कि विभागीय मिलीभगत पर भी सवाल खड़े कर दिए। लोगों का कहना है कि जब सेल्समैन इतना खुलकर कह रहा है तो समझा जा सकता है कि ऊपर तक सबकुछ ‘फिक्स’ है।
ग्रामीणों का आक्रोश – प्रत्यक्ष बयान
रामबचन यादव (मजदूर) बोले – “हर बोतल पर 15–25 रुपये ज्यादा देना पड़ता है। जब हमने विरोध किया तो सेल्समैन ने कहा कि ऊपर तक पैसा जाता है, कुछ नहीं होगा। अब सोचिए, हम मजदूरी करके रोज़ का खर्च चलाते हैं, ऊपर से यह लूट।”
सुरेश पासी (स्थानीय युवक) ने कहा – “75 की बोतल 100 में मिलती है। हम लोगों ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाला, लेकिन फिर भी कार्रवाई नहीं हुई। इससे साफ है कि विभाग और ठेकेदार मिले हुए हैं।”
मुन्ना गोंड (ग्रामीण उपभोक्ता) का कहना है – “आबकारी विभाग की मोहतरमा को फोन किया तो उन्होंने कॉल रिसीव करना ही बंद कर दिया। अगर अधिकारी ही शिकायत सुनने से कतराएंगे तो आम जनता कहां जाएगी?”
विभाग की चुप्पी ने बढ़ाया संदेह
आम तौर पर किसी भी सरकारी विभाग की छवि तब खराब होती है जब शिकायत के बाद भी वह निष्क्रिय बना रहता है। कल्यानीचक शराब दुकान के मामले में विभाग का यही रवैया सवालों के घेरे में है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो ग्रामीणों का आरोप है कि इसमें विभागीय मिलीभगत है और “बंधा महीना” सीधे ऊपर तक पहुंचता है।
कानून और नियम ताक पर
उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम के तहत शराब की बिक्री केवल एमआरपी पर की जा सकती है। इसके अलावा बिक्री का समय भी सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक तय है। कल्यानीचक की दुकान पर न केवल ओवररेटिंग हो रही है, बल्कि देर रात और तड़के सुबह भी अधिक पैसे लेकर शराब बेची जाती है। यह सीधे तौर पर कानून की अवहेलना है।
आबकारी विभाग का बयान (औपचारिक)
इस पूरे मामले में जब आबकारी निरीक्षक (चकिया क्षेत्र) से पूछा गया तो उन्होंने कहा –
“कल्यानीचक शराब दुकान पर ओवररेटिंग और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो का संज्ञान लिया गया है। टीम गठित कर जांच कराई जाएगी। यदि गड़बड़ी पाई जाती है तो दुकान के खिलाफ लाइसेंस निरस्तीकरण की कार्रवाई होगी। विभाग किसी भी अवैध वसूली को बर्दाश्त नहीं करेगा।”
हालांकि, ग्रामीण इस बयान पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि ऐसे बयान पहले भी कई बार दिए गए, लेकिन जमीन पर कभी कार्रवाई नहीं हुई।
कल्यानीचक देशी शराब की दुकान पर 75 रुपये की बोतल 100 रुपये में बेचना सिर्फ ओवररेटिंग नहीं, बल्कि कानून और उपभोक्ता अधिकारों की खुली हत्या है। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद भी विभाग का चुप्पी साधे रहना उसकी कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े करता है। अगर प्रशासन ने जल्द ही सख्त कदम नहीं उठाए, तो यह न सिर्फ उपभोक्ताओं का शोषण है बल्कि विभाग की साख पर भी गहरा धब्बा है।





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