चंदौली चकिया ( मीडिया टाइम्स )। केंद्र सरकार की महात्वाकांक्षी योजना मनरेगा जिसका उद्देश्य ग्रामीण गरीबों को रोजगार देकर आर्थिक मजबूती देना है, वह जमीनी स्तर पर दम तोड़ती नजर आ रही है।
जनपद के शहाबगंज ब्लॉक अंतर्गत मुबारकपुर गांव में मनरेगा कार्यों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार सामने आया है, जहां कागजों पर काम पूरा दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट की जा रही है।
ग्रामीणों का आरोप है कि योजनाओं में बड़ी संख्या में मजदूरों की उपस्थिति दर्शाई जाती है, लेकिन मौके पर नाम के बराबर मजदूर ही नजर आते हैं। असल मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा, जबकि बिचौलियों और चहेतों के नाम पर फर्जी हाजिरी लगाकर मजदूरी निकाल ली जा रही है। स्थिति यह है कि पुराने फोटो बार-बार उपयोग कर कार्य प्रगति दर्शाई जाती है और भुगतान उठा लिया जाता है।
बताया जा रहा है कि क्षेत्र पंचायत के अंतिम वर्ष में मनरेगा में भ्रष्टाचार चरम पर है। कई योजनाएं सिर्फ फाइलों में चल रही हैं, धरातल पर या तो आधा-अधूरा काम हुआ है या पूरी तरह शून्य स्थिति है। सबसे गंभीर मामला यह है कि बिना किसी वैध अनुमति और आवश्यक कागजात के वन विभाग की सीमांकित भूमि में मनरेगा का कार्य करवा दिया गया, जबकि इसकी कोई सूचना वन विभाग को नहीं दी गई। यह सीधे-सीधे नियमों के उल्लंघन और सरकारी निर्देशों की अवहेलना का मामला है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी आंख मूंदे बैठे हैं। न तो जांच हो रही है और न ही दोषियों पर कोई कार्रवाई। जनपद में बड़े पैमाने पर मनरेगा घोटाले की सूचनाएं सामने आने के बाद भी जिला एवं ब्लॉक स्तर के अधिकारी मौन साधे हुए हैं, जिससे प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
ग्रामीणों ने मांग की है कि मुबारकपुर समेत पूरे शहाबगंज ब्लॉक के मनरेगा कार्यों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए, फर्जी हाजिरी, पुराने फोटो से भुगतान और वन भूमि में कराए गए अवैध कार्यों की जिम्मेदारी तय हो, तथा दोषियों के खिलाफ कठोर कानूनी कार्रवाई की जाए।
अब सवाल यह है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी जनता के आक्रोश को गंभीरता से लेकर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाएंगे या मनरेगा का ऐसा ही “कागजी विकास” जारी रहेगा।



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