राजनीतिक संरक्षण से शहाबगंज ब्लॉक में मनरेगा का बड़ा फर्जीवाड़ा उजागर, खंड विकास अधिकारी ने दिए जांच के आदेश
चंदौली। जिले के शहाबगंज ब्लॉक के ठेकहा गांव में मनरेगा योजना के तहत भारी फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना और योगी सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए कार्य केवल कागजों पर ही पूरे कर दिए गए हैं।
कागजों पर चल रहे मजदूर, असली हक से वंचित ग्रामीण
ग्रामीणों का आरोप है कि ब्लॉक प्रमुख निधि से कराए जा रहे कार्यों में पुराने और एक ही तरह की फोटोज अपलोड कर खानापूर्ति दिखाई जा रही है। असली मजदूरों के हिस्से का पैसा फर्जी मजदूरों के नाम से निकाल लिया जाता है। यहां तक कि कई मामलों में महिलाओं की हाजिरी लगाकर पुरुषों की तस्वीरें अपलोड की गई हैं।
सूत्रों के मुताबिक, एक ही साइट को अलग-अलग नाम देकर बार-बार भुगतान लिया जा रहा है। मजदूरी का भुगतान कच्चे रूप में होने के बाद रोजगार सेवक और संबंधित कर्मियों के माध्यम से फर्जी मजदूरों से तय रकम की वसूली की जाती है। इस पूरे खेल में जेई और टीए की मिलीभगत से कमीशनबाजी का मजबूत नेटवर्क सक्रिय है।
ग्रामीणों का बयान
रामबचन यादव (ग्रामीण) का कहना है – “हम लोगों ने कई बार मनरेगा में काम करने की मांग की, लेकिन हमारे नाम मस्टररोल में ही नहीं डाले गए। बाद में पता चला कि हमारे नाम से पैसा निकाला गया है।”
मुकेश पासवान (युवा मजदूर) ने आरोप लगाया – “जब भी मजदूरी मिलती है तो रोजगार सेवक और कर्मचारी लोग उसमें से पैसा वापस ले लेते हैं। मजबूरी में हमें चुप रहना पड़ता है।”
शंभूनाथ (समाजसेवी) ने कहा – “मनरेगा गरीबों के लिए बनी थी, लेकिन यहां तो यह कमीशनखोरी का जरिया बन गई है। सरकार को जल्द सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।”
समाजसेवियों ने उठाई आवाज
गांव के समाजसेवियों ने मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर आवाज बुलंद की है। उनका कहना है कि गरीब मजदूरों के हक पर खुलेआम डाका डाला जा रहा है और जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति होती रही है।
बीडीओ ने दिए जांच के आदेश
इस पूरे मामले पर शहाबगंज के खंड विकास अधिकारी दिनेश सिंह ने गंभीरता दिखाते हुए कहा कि,
“ठेकहा गांव में मनरेगा योजना के तहत फर्जीवाड़े की जांच की जा रही है। पूरे मस्टरोल को जीरो किया जाएगा और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मनरेगा जैसी महत्वाकांक्षी योजना में भ्रष्टाचार किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
क्या होगी वास्तविक कार्रवाई या मामला ठंडे बस्ते में जाएगा?
स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह कार्रवाई वास्तव में दोषियों तक पहुंचेगी या फिर पहले की तरह मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा। फिलहाल, ठेकहा गांव में मनरेगा घोटाले ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और ईमानदारी दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
























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