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Sunday, August 24, 2025

डीडीयू नगर क्षेत्र में आबकारी विभाग की शह पर फल-फूल रहा अवैध कारोबार,हथेरवां गांव में ओवररेटिंग का धंधा,जनता परेशान, अधिकारी मौन

 डीडीयू नगर क्षेत्र में आबकारी विभाग की शह पर फल-फूल रहा अवैध कारोबार,हथेरवां गांव में ओवररेटिंग का धंधा,जनता परेशान, अधिकारी मौन




डीडीयू। डीडीयू नगर व आसपास के इलाकों में शराब और गांजे के अवैध कारोबार पर रोक लगाने के बजाय, विभागीय लापरवाही और मिलीभगत के आरोप लगातार गहराते जा रहे हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर कई वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिनमें खुलेआम शराब और गांजे की बिक्री होती दिख रही है। इन वीडियोज़ ने न केवल विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि संरक्षण के बिना इतने बड़े पैमाने पर यह कारोबार संभव ही नहीं।




हथेरवां गांव में ओवररेटिंग का धंधा


अलीनगर थाना क्षेत्र के जफरपुर चौकी अंतर्गत हथेरवां गांव से सामने आए वीडियो में साफ दिख रहा है कि दुकानों पर खुलेआम ओवररेटिंग की जा रही है। निर्धारित कीमत से ज्यादा वसूली कर ग्राहकों को बोतलें बेची जा रही हैं। यह स्थिति कोई नई नहीं है, बल्कि लंबे समय से गांव और कस्बों में यह धंधा धड़ल्ले से जारी है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इसकी जानकारी कई बार पुलिस व आबकारी अधिकारियों तक पहुंचाई गई, लेकिन कार्रवाई के बजाय मामले को दबा दिया गया।

अलीनगर थाना क्षेत्र के जफरपुर चौकी अंतर्गत हथेरवां गांव से वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि निर्धारित दर से ज्यादा कीमत पर शराब बेची जा रही है। वहीं, एक स्थानीय व्यक्ति ने बताया 

> “75 रुपये वाली बोतल 85 से 90 रुपये में दी जा रही है। मजबूरी में बाहर से लेना पड़ा क्योंकि सरकारी शराब की दुकान बंद थी।”


यह बयान इस बात का सबूत है कि न सिर्फ अवैध तरीके से शराब की बिक्री हो रही है बल्कि उपभोक्ताओं को ओवररेटिंग का भी शिकार बनाया जा रहा है।

 



संरक्षण में फल-फूल रहा धंधा


सूत्रों की मानें तो इस पूरे अवैध कारोबार का नेटवर्क बेहद मजबूत है। बताया जाता है कि आबकारी विभाग की एक मोहतरमा अधिकारी की सीधी शह और विभाग के कारखास लोगों की सेटिंग से यह कारोबार जारी है। दिलचस्प यह है कि यह पूरा सिस्टम अक्सर एक बाहरी व्यक्ति के जरिए संचालित कराया जाता है ताकि सीधे विभागीय अधिकारियों पर उंगली न उठ सके।





जनता परेशान, अधिकारी मौन


स्थानीय लोगों का कहना है कि नशे के इन अड्डों की वजह से युवाओं का भविष्य बर्बाद हो रहा है। अवैध शराब और गांजे की बिक्री से गांव और कस्बों में अपराध का ग्राफ भी बढ़ता जा रहा है। बावजूद इसके, आबकारी विभाग की जिम्मेदार अधिकारी न तो मौके पर छापेमारी करती हैं और न ही फोन उठाती हैं। उनका मौन और निष्क्रियता, विभाग की कार्यशैली पर गहरे सवाल खड़े करता है।





उच्चाधिकारियों की जिम्मेदारी


अब बड़ा सवाल यह है कि विभाग के उच्चाधिकारी आखिर कब इन मामलों पर संज्ञान लेंगे। जिस तरह से क्षेत्र में वीडियो वायरल हो रहे हैं, उससे साफ है कि जमीनी स्तर पर अवैध कारोबारियों को पूरी छूट मिली हुई है। अगर समय रहते कड़ा कदम नहीं उठाया गया तो नशे का यह फैलता कारोबार समाज के लिए और भी घातक साबित होगा।




यह मामला केवल स्थानीय स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि आबकारी विभाग की साख और कानून व्यवस्था पर सीधा प्रश्नचिन्ह है। अब देखना यह है कि उच्चाधिकारी इस पर ठोस कदम उठाते हैं या फिर मामले को फिर से रफा-दफा कर दिया जाएगा।


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