चंदौली ( मीडिया टाइम्स )। अलीनगर थाना क्षेत्र के आयुष हेल्थ केयर में बीते सोमवार 25 अगस्त की रात इलाज के दौरान बिहार कैमूर निवासी 17 वर्षीय किशोरी प्रियांशी कुमारी की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने शव को रोककर परिजनों से ₹44,000 की जबरन वसूली की।
परिजनों की गुहार और पत्रकारों की दखलअंदाजी के बाद मामला उजागर हुआ तो इस अमानवीय कृत्य पर जनाक्रोश उमड़ पड़ा।
लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि घटना को उजागर करने वाले पत्रकारों पर ही अस्पताल संचालक ने 27 अगस्त को अलीनगर थाने में झूठा मुकदमा दर्ज करा दिया।
पत्रकारों के खिलाफ पुलिस की तत्परता, लेकिन आम मामलों में टालमटोल
पत्रकारों ने आरोप लगाया कि जिस पुलिस को गंभीर मामलों में तहरीर मिलने के बाद एफआईआर लिखने में 10–10 दिन लग जाते हैं, वही पुलिस अस्पताल प्रबंधन से मिली तहरीर पर बिना किसी जांच और साक्ष्य की पुष्टि के मात्र दो घंटे के भीतर मुकदमा दर्ज कर बैठी। यह कार्रवाई पत्रकारों को डराने-धमकाने की सुनियोजित साजिश प्रतीत होती है।
हैरानी की बात यह भी रही कि कुछ मीडिया संस्थानों ने इस एफआईआर को आधार बनाकर समाचार प्रकाशित कर दिए, लेकिन आरोपित पत्रकारों से उनका पक्ष जानने की ज़रूरत नहीं समझी। जिन बिंदुओं पर अस्पताल संचालक ने मुकदमा दर्ज कराया, उनसे संबंधित कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया। इससे यह संदेह और गहरा हो गया है कि पत्रकारों पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से षड्यंत्रपूर्ण और निराधार हैं।
पत्रकारों का बयान
पत्रकारों ने साफ कहा है कि सत्ता और पूंजी के गठजोड़ से चल रही अमानवीय हरकतों को उजागर करना उनका कर्तव्य है। ऐसे झूठे मुकदमों और दबाव की रणनीति से उनकी आवाज़ को दबाया नहीं जा सकता।



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