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Tuesday, July 29, 2025

चंद्रप्रभा रेजर अखिलेश कमार दुबे की सारी व्यवस्थाएं केवल कागजों पर, हर आए दिन पर्यटकों की हो रही मौतें, जिम्मेदार मलाई काटने में जुटे

चंद्रप्रभा रेजर अखिलेश कमार दुबे की सारी व्यवस्थाएं केवल कागजों पर, हर आए दिन पर्यटकों की हो रही मौतें, जिम्मेदार मलाई काटने में जुटे 





राजदरी देवदरी जलप्रपात पर पहुंचे जिलाधिकारी ने जताई नाराजगी, सुरक्षा इंतजाम फेल


सपरिवार पहुंचे डीएम को रास्ते में मिले नशे में धुत युवक, रेंजर से पूछा—चेकिंग कहां है?

 


डीएम बोले .. ऐसे युवक कुछ भी कर सकते हैं


चंदौली। जिले के प्रमुख पर्यटन स्थल राजदरी जलप्रपात पर रविवार को जिलाधिकारी सपरिवार भ्रमण पर पहुंचे, लेकिन रास्ते में मिले हालात ने उनके चेहरे की मुस्कान गायब कर दी। चकिया से पहाड़ियों की ओर बढ़ते हुए उन्हें रास्ते में तीन-चार बाइक सवार युवक नशे में धुत मिले, जो आने-जाने वाले लोगों से बदतमीज़ी कर रहे थे। यह देख जिलाधिकारी ने काफ़ी नाराजगी जताई।






अंदर पहुंचते ही रेंजर से पूछा– ‘चेकिंग कहां है?’


जलप्रपात परिसर में प्रवेश करने के बाद गेस्ट हाउस पहुंचे जिलाधिकारी ने मौके पर मौजूद वन क्षेत्राधिकारी (रेंजर) चंद्रप्रभा से सीधे सवाल किया, “रास्ते में कोई चेकिंग प्वाइंट क्यों नहीं है?” रेंजर ने जवाब दिया कि सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस विभाग की है। इस पर जिलाधिकारी ने सख्त लहजे में कहा कि वह इस मामले में पुलिस अधीक्षक से बात करेंगे।‌


पुलिस का दावा हवा में, पीएसी बनी रही दर्शक .....


आपको बता दें कि हाल ही में पुलिस विभाग ने सार्वजनिक रूप से दावा किया था कि जलप्रपात क्षेत्र में आधार कार्ड की जांच के बाद ही प्रवेश मिलेगा, साथ ही चकिया और जलप्रपात के बीच चेकिंग प्वाइंट लगाए जाएंगे। लेकिन हकीकत यह थी कि न तो चेकिंग प्वाइंट था और न ही कोई पुलिसकर्मी रास्ते में तैनात दिखा। जलप्रपात परिसर में तैनात पीएसी के जवान सिर्फ खड़े दिखाई दिए—जैसे कोई मूर्ति हो।



"ऐसे लफंगे कभी भी कुछ भी कर सकते हैं" – जिलाधिकारी


जिलाधिकारी ने स्पष्ट तौर पर चिंता जताते हुए कहा कि यदि ऐसे नशे में धुत युवक समय रहते न रोके गए, तो ये किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। सपरिवार पहुंचे जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि यह पर्यटन स्थल अगर असुरक्षित हुआ तो इसका सीधा असर जिले की छवि और पर्यटकों की संख्या पर पड़ेगा।



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सवाल उठता है कि भीड़भाड़ वाले रविवार जैसे दिन भी जब पुलिस की उपस्थिति नहीं दिखी, तो आम दिनों में सुरक्षा का क्या हाल होता होगा? क्या प्रशासन सिर्फ कागजों पर योजनाएं बनाता रहेगा, या अब ज़मीनी कार्रवाई होगी?

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