आज जहां डॉक्टर्स को कोरोना योद्धा की उपाधि प्रदान की जा रही है और उनके द्वारा किए गए कार्यों की सराहना हो रही है वहीं कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं जो कि न सिर्फ अपने पद का गलत उपयोग कर रहे हैं वरन् डॉक्टरों की छवि भी जनता के बीच में खराब कर रहे हैं।
पूरा मामला चकिया ब्लॉक के सिकंदरपुर स्थित राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय का है जहां पर चिकित्सालय तो सरकार ने खुलवा दिया है वहां पर बाकायदा डॉक्टर , फार्मासिस्ट, व वार्ड ब्वाय की नियुक्ति भी कर दी गई है लेकिन डॉक्टर चिकित्सालय में कभी उपस्थित दिखाई नहीं देते , और वार्ड ब्वॉय की भी वही स्थिति है , जब ग्रामीणों ने फार्मासिस्ट से डॉक्टर के अनुपस्थिति की वजह पूछी तो जवाब मिला कि डॉक्टर साहब वाराणसी गए हैं। आखिर इतना आवश्यक कौन सा कार्य आ गया कि ड्यूटी के दौरान वो वाराणसी निकल गए, जाहिर है कि फार्मासिस्ट द्वारा झूठ बोला गया,और वास्तविकता ये है की डॉक्टर साहब कभी हॉस्पिटल पर आते ही नहीं हैं।
सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा :-
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लापरवाही की तो बात छोड़िए डॉक्टर साहब ने हॉस्पिटल के बगल में खाली पड़ी सरकारी जमीन में जबरन कब्जा कर उसमे खेती बारी भी शुरू करवा दी है, जो कि वहां के ग्रामीणों के धार्मिक प्रयोजन और शादी विवाह जैसे कार्य के उपयोग में आती थी। जिसपर प्रशासन की नजर नहीं पड़ रही, ये किस प्रकार की गुंडागर्दी है जो एक डॉक्टर के पद पर आसीन होते हुए हॉस्पिटल में नदारद पाए जाते हैं और सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा भी जमाए हुए हैं।
गंदगी का अंबार :-
हॉस्पिटल से लगे ही कूड़े का ढेर पटा पड़ा है, लेकिन इसके विषय में डॉक्टर ने कभी अपनी जिम्मेदारी नही समझी की उसे ग्राम प्रधान से शिकायत करके या सफाईकर्मी से कहकर उसकी कोई समुचित व्यवस्था करवा सकें, जबकी गंदगी को बीमारी का घर माना जाता है।
चूंकि इन्होंने उस जमीन पर पूर्ण रूप से अपना अधिकार स्थापित कर रक्खा है इसलिए ग्रामीण भी उस जगह की साफ सफाई करने में असमर्थ हैं।
स्वच्छ भारत मिशन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, सारे नियम कानून को ताक पर रखकर अपनी मनमानी की जा रही है।
क्या कभी किसी चिकित्साधिकारी कि नजर इस बिंदु पर नहीं पड़ी या फिर कभी कोई चिकित्साधिकारी जांच हेतु वहां जाता ही नही है।
ऐसे डॉक्टर्स तो तत्काल प्रभाव से निलंबित कर कड़ी कार्यवाही करनी चाहिए।


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