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Friday, October 31, 2025

सख्ती के बावजूद इलिया बॉर्डर पर शराब तस्करी जोरों पर — सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र पर उठे गंभीर सवाल

 सख्ती के बावजूद इलिया बॉर्डर पर शराब तस्करी जोरों पर — सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र पर उठे गंभीर सवाल




इलिया (चंदौली)। यूपी-बिहार बॉर्डर पर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी के बावजूद शराब तस्करी का अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। इलिया थाना क्षेत्र के सीमावर्ती इलाकों में सुबह-शाम शराब से लदी मोटरसाइकिलों और छोटे वाहनों का लगातार आना-जाना जारी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह सब प्रशासन की नाक के नीचे होता है, फिर भी कार्रवाई न के बराबर है। इससे सुरक्षा व्यवस्था और खुफिया तंत्र की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।


सूत्रों के अनुसार, यह पूरा खेल देशी शराब की दुकान नंबर 1, 2 और कंपोजिट शराब की दुकानों से संचालित किया जा रहा है। बताया जाता है कि कुछ शराब ठेकेदार और एजेंटों ने मिलकर एक संगठित सिंडिकेट तैयार कर लिया है, जिसके जरिए रोजाना हजारों लीटर शराब बिहार पहुंचाई जा रही है — जहां शराबबंदी कानून लागू है।


राजनीतिक संरक्षण का आरोप, चुनावी मौसम में बढ़ा तस्करी का खेल


जानकारी के मुताबिक, यह पूरा कारोबार कुछ “खास लोगों” के संरक्षण में चल रहा है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक सट्टे और रसूखदारों की मिलीभगत के चलते यह तस्करी अब संगठित व्यापार का रूप ले चुकी है।

आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए शराब की मांग में बढ़ोतरी हुई है, और इसी कारण तस्कर अब दिन-रात शराब की सप्लाई तेज कर चुके हैं। इसके चलते यूपी-बिहार बॉर्डर पर सुरक्षा एजेंसियों की निष्क्रियता और अधिक उजागर हो गई है।





ग्रामीणों का आरोप — पुलिस की मौजूदगी सिर्फ दिखावे की


इलिया और आसपास के गांवों के लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिस केवल गश्त दिखाने तक सीमित है।


> “बॉर्डर पर पुलिस हर वक्त मौजूद रहती है, फिर भी हर दिन शराब की गाड़ियां निकलती हैं। अब तो ये आम बात हो गई है।” — स्थानीय ग्रामीण, इलिया क्षेत्र।


ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस को कई बार तस्करों की गतिविधियों की पहले से जानकारी मिल जाती है, जिससे वे रास्ता बदलकर आसानी से निकल जाते हैं। कई बार शिकायतें करने के बावजूद कार्रवाई नहीं होती, जिससे लोगों में आक्रोश है।



यूपी और बिहार दोनों ओर तैनाती के बावजूद जारी है तस्करी


सुरक्षा के लिहाज से यूपी-बिहार बॉर्डर पर यूपी पुलिस की दो शिफ्टों में 12-12 घंटे की ड्यूटी लगाई गई है, जबकि बिहार की ओर सीआरपीएफ और बिहार पुलिस लगातार कैंप कर निगरानी में लगी है। इसके बावजूद शराब तस्करी का सिलसिला नहीं थम रहा है।

यह सवाल उठता है कि इतनी भारी सुरक्षा व्यवस्था के बावजूद तस्कर कैसे आसानी से निकल जा रहे हैं? क्या यह खुफिया जानकारी लीक होने का मामला है या फिर प्रशासनिक मिलीभगत का परिणाम?



एडिशनल एसपी ने दी सफाई — कड़ी निगरानी जारी


इस बाबत एडिशनल एसपी दिगम्बर कुशवाहा ने कहा कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बलों की ड्यूटी सख्त कर दी गई है। उन्होंने बताया कि पुलिस नियमित रूप से गश्त कर रही है और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

हालांकि, लगातार सामने आ रही तस्करी की घटनाओं से लगता है कि सिर्फ ड्यूटी बढ़ाने से समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।



बड़ा सवाल — आखिर कब रुकेगा शराब माफियाओं का यह कारोबार?


इलिया बॉर्डर पर शराब तस्करी का यह खुला खेल प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों की कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा है। यदि 24 घंटे पुलिस, सीआरपीएफ और खुफिया एजेंसियां तैनात हैं, तो शराब से लदी मोटरसाइकिलें और वाहन आखिर कैसे बेरोकटोक बिहार सीमा में दाखिल हो जा रहे हैं?

स्थानीय लोगों की मांग है कि इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कराई जाए ताकि शराब माफियाओं और उनके प्रशासनिक संरक्षण का खुलासा हो सके।


विशेष बाते –


शराब तस्करी का खेल इलिया बॉर्डर पर बेखौफ जारी

देशी शराब ठेकों से होती है बड़ी मात्रा में सप्लाई

सिंडिकेट पर राजनीतिक संरक्षण का शक

पुलिस की मौजूदगी के बावजूद तस्करों का मनोबल बुलंद

ग्रामीणों ने की उच्चस्तरीय जांच की मांग

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