शहीद-ए-आज़म भगत सिंह की जयंती पर हड़ौरा में विचार गोष्ठी, वक्ताओं ने सरकार की नीतियों पर कसा तंज
हड़ौरा (शहाबगंज, चंदौली)। शहीद-ए-आज़म भगत सिंह के जन्म दिवस (28 सितंबर) पर रविवार को हड़ौरा में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन से हुई। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से आए बुद्धिजीवियों ने शहीद के विचारों पर प्रकाश डाला और भारत की मौजूदा सामाजिक-आर्थिक स्थिति पर गहन चर्चा की।
कामरेड श्याम बिहारी सिंह, प्रवक्ता भगत सिंह विचार मंच, ने कहा कि आज की सरकार पूंजीपतियों के हित में काम कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि शिक्षा व अनुसंधान पर खर्च घटाकर युवाओं को बेरोजगारी, नशाखोरी और सांप्रदायिक उन्माद में झोंका जा रहा है। वहीं, चीन शिक्षा और अनुसंधान पर बड़ा निवेश कर आर्थिक महाशक्ति बन रहा है। सरकार की "मूर्खतापूर्ण विदेश नीति" के कारण भारत वैश्विक स्तर पर अलग-थलग पड़ रहा है और अमेरिका द्वारा भारतीय व्यापार पर भारी टैरिफ लगाना इसी का उदाहरण है।
वक्ताओं ने कहा कि भगत सिंह के सपनों का भारत आज भी अधूरा है। अंग्रेजों की साम्राज्यवादी और पूंजीवादी नीतियां स्वतंत्र भारत में भी सत्ता में बैठे दलों द्वारा आगे बढ़ाई जा रही हैं। उन्होंने आह्वान किया कि जनता को जागकर नवजनवादी गठबंधन (NDF) का निर्माण करना होगा, ताकि वास्तविक आजादी और विकास का मार्ग प्रशस्त हो सके।
कार्यक्रम में कवि वसीम के नेतृत्व में कवियों ने क्रांतिकारी गीत और कविताएं प्रस्तुत कीं, जिनसे सभा देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गई।
अध्यक्षता डॉ. गीता शुक्ला और श्री सूर्यनाथ सिंह ने की, जबकि संचालन श्री मिश्रीलाल पासवान ने किया। कार्यक्रम में ज्योति कुमारी भारती, उषा देवी, कन्हैया राम, गोपाल पांडेय, शहजादे, भानुप्रताप, राम अवध सिंह, विजय गोंड, नागेंद्र यादव, इंद्रासन तिवारी, देवेंद्र धर दूबे, रामजी यादव, राधेश्याम यादव, डॉ. सुदामा पांडेय, विजय यादव, पारसनाथ यादव, असलम खान और प्रेमशंकर तिवारी समेत अनेक लोगों ने अपने विचार रखे।
गोष्ठी में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित रहे और "इंकलाब जिंदाबाद" के नारों से पूरा माहौल गूंज उठा।






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