कक्षा 8 की छात्रा आकांक्षा मौर्य बनीं एक दिन की बीएसए, बेटियों के आत्मविश्वास का मिसाल
चन्दौली। बेटियों को समाज में समान अवसर देने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में सरकार द्वारा समय-समय पर विभिन्न पहल की जाती हैं। इन्हीं पहलों में से एक है उत्तर प्रदेश सरकार का मिशन शक्ति अभियान 5.0, जिसके अंतर्गत बालिकाओं को सशक्त बनाने, उन्हें नेतृत्व का अवसर देने और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इसी क्रम में जनपद चन्दौली में केजीबीवी (कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय) सदर की कक्षा 8 की छात्रा कुमारी आकांक्षा मौर्य को एक दिन के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) की जिम्मेदारी सौंपी गई।
एक दिन की बीएसए बनीं आकांक्षा
मंगलवार को आकांक्षा मौर्य ने पूरे दिन जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी का कार्यभार संभाला। उन्होंने कार्यालय में बैठकर स्टाफ मीटिंग की, विद्यालयों की स्थिति पर समीक्षा की और शिक्षण व्यवस्था में सुधार के लिए अपने सुझाव दिए। इस दौरान आकांक्षा ने सबसे अहम निर्देश यह दिया कि जिले के सभी विद्यालयों में सप्ताह में कम से कम एक दिन खेलकूद की गतिविधियां अनिवार्य रूप से कराई जाएं। उनका मानना था कि शिक्षा के साथ-साथ खेल भी विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए जरूरी है।
उनकी इस पहल की सराहना खुद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सचिन कुमार ने भी की और तुरंत आश्वासन दिया कि छात्रा के इस सुझाव को अमल में लाया जाएगा।
निरीक्षण और बैठक में दिए निर्देश
बीएसए की भूमिका निभाते हुए आकांक्षा ने कार्यालय का निरीक्षण किया और कार्यप्रणाली को समझा। इसके बाद उन्होंने स्टाफ मीटिंग की, जिसमें विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था, विद्यार्थियों की उपस्थिति और अध्यापकों की जिम्मेदारी पर चर्चा की गई। आकांक्षा ने इस दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों को अनुशासन तथा समय पालन पर जोर देने की नसीहत दी।
उन्होंने साफ कहा कि विद्यार्थियों की पढ़ाई के साथ-साथ उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। विद्यालयों में स्वच्छ वातावरण बनाए रखने और लड़कियों को आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने पर उन्होंने बल दिया।
मिशन शक्ति का उद्देश्य
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी सचिन कुमार ने मिशन शक्ति अभियान की जानकारी देते हुए कहा कि यह कार्यक्रम महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य न सिर्फ महिलाओं और बालिकाओं को सुरक्षा प्रदान करना है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाना और समाज में उनका आत्मविश्वास बढ़ाना भी है।
उन्होंने कहा कि बेटियों को जिम्मेदारी सौंपकर यह संदेश दिया जा रहा है कि वे किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं। इस तरह के कार्यक्रम छात्राओं के अंदर नेतृत्व क्षमता विकसित करने और उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने में अहम भूमिका निभाते हैं।
छात्रा आकांक्षा का उत्साह
बीएसए बनने का अवसर मिलने पर आकांक्षा मौर्य बेहद उत्साहित दिखीं। उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक अनोखा अनुभव है। विद्यालय में पढ़ाई करने के साथ-साथ जिम्मेदारी का अनुभव करना उनके लिए बेहद प्रेरणादायी रहा। आकांक्षा ने कहा कि इस अवसर ने उन्हें यह विश्वास दिलाया है कि यदि मेहनत और लगन हो तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
अधिकारियों और छात्राओं में उत्साह
इस अवसर पर मौजूद अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी आकांक्षा के आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता की सराहना की। उनका कहना था कि इस तरह के अवसर न केवल छात्राओं को प्रेरित करते हैं बल्कि समाज में भी एक सकारात्मक संदेश पहुंचाते हैं।
विद्यालय की अन्य छात्राओं में भी आकांक्षा को बीएसए बनते देख उत्साह और जोश का माहौल रहा। छात्राओं ने कहा कि इस पहल से उन्हें यह भरोसा मिला है कि वे भी बड़े होकर जिम्मेदार पदों पर पहुंच सकती हैं।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में अहम कदम
चन्दौली जिले में हुई यह पहल न केवल मिशन शक्ति को बढ़ावा देने का उदाहरण है, बल्कि यह बेटियों को आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी बनाने की दिशा में बड़ा कदम भी है। जब छात्राओं को इस तरह की जिम्मेदारियां मिलती हैं, तो उनमें नेतृत्व क्षमता विकसित होती है और वे भविष्य में समाज के लिए बेहतर कार्य करने की प्रेरणा लेती हैं।
कक्षा 8 की छात्रा कुमारी आकांक्षा मौर्य का एक दिन के लिए बीएसए बनना जिले के लिए गर्व की बात है। यह पहल साबित करती है कि बालिकाएं भी किसी जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं। मिशन शक्ति अभियान के तहत दी जा रही इस तरह की जिम्मेदारियां बेटियों के आत्मविश्वास को बढ़ाने के साथ ही समाज में महिला सशक्तिकरण की दिशा में नई राह खोल रही हैं।








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