मनरेगा में फर्जीवाड़े का गढ़ बना चकिया ब्लॉक: जिला पंचायत अध्यक्ष और ठेकेदार की साठगांठ से हो रहा खुला भ्रष्टाचार
मजदूरों की मेहनत की कमाई पर डाका, कागजों पर चल रहे कार्य, मस्टररोल में लग रही पुरानी तस्वीरें, प्रशासन मौन
चकिया, चंदौली। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) ग्रामीण भारत में रोजगार का सबसे बड़ा जरिया मानी जाती है। लेकिन चकिया ब्लॉक में यह योजना अब भ्रष्टाचार का पर्याय बन गई है। यहां जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके खास ठेकेदारों की मिलीभगत से मनरेगा के तहत चल रहे विकास कार्यों में खुलकर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।
जमीनी सच्चाई ये है कि जिन कार्यों को कागजों में पूरा दिखाया गया है, वे या तो शुरू ही नहीं हुए हैं या अधूरे पड़े हैं। कहीं न मजदूर दिखते हैं और न ही कोई कार्यस्थल पर गतिविधि। लेकिन मस्टररोल में दर्जनों मजदूरों के नाम और उनके कार्यदिवस भरकर भुगतान दिखाया जा रहा है।
पुरानी तस्वीरों से भर रहे मस्टररोल
सूत्रों की मानें तो मस्टररोल को अपडेट करने के लिए मनरेगा के पुराने कार्यों की तस्वीरों को नए कार्यों के नाम पर अपलोड किया जा रहा है। कुछ जगहों पर 1–2 साल पहले के कार्यों की फोटोज़ को नई योजनाओं के रूप में प्रदर्शित कर श्रमिकों की हाजिरी दिखाई जा रही है।
ग्रामीणों ने शिकायत की है कि उनके नाम से कार्य दिखाया गया है, लेकिन उन्होंने न तो कोई कार्य किया है और न ही भुगतान मिला है।
पंचायत प्रतिनिधियों और ठेकेदारों की मिलीभगत
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में जिला पंचायत अध्यक्ष और उनके करीबी ठेकेदारों की सीधी मिलीभगत है। काम उन्हीं ठेकेदारों को दिया जा रहा है जो 'भरोसेमंद' हैं – यानी जो कमीशन तय करके काम कागजों में निपटा सकें।
चकिया क्षेत्र के कई गांवों में जहां मनरेगा से सड़क निर्माण और तालाब खुदाई के नाम पर लाखों की योजनाएं स्वीकृत तो हुईं, लेकिन मौके पर न कोई मजदूर दिखा न कार्यस्थल।
ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, की मांग – हो उच्च स्तरीय जांच
इस खुली लूट और अधिकारियों की चुप्पी से आक्रोशित ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते जांच नहीं हुई तो वे धरना प्रदर्शन कर डीएम कार्यालय का घेराव करेंगे।
एक नजर में – फर्जीवाड़े के संकेत:
बिंदु वास्तविकता
मस्टररोल में मजदूर पुराने फोटो, फर्जी हाजिरी
कार्य की स्थिति मौके पर कार्य नदारद
अधिकारी चुप्पी साधे हुए
पंचायत प्रतिनिधि ठेकेदारों से मिलीभगत
भुगतान कागजों में पूरा, हकीकत में फर्जी
क्या कहते हैं जानकार
एक सामाजिक कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “चकिया में मनरेगा अब गरीबों का सहारा नहीं, अधिकारियों और ठेकेदारों का कमाई का जरिया बन चुका है। जब तक उच्चाधिकारियों की निगरानी नहीं होगी, ये लूट ऐसे ही जारी रहेगी।”
मनरेगा जैसी योजना, जिसे ग्रामीण रोजगार और आत्मनिर्भरता के लिए शुरू किया गया था, वह चकिया में भ्रष्टाचार का अड्डा बन चुकी है। कागजों में सैकड़ों मजदूर काम कर रहे हैं, लेकिन हकीकत में वे या तो किसी और काम में लगे हैं या उन्हें पता ही नहीं कि उनके नाम से कार्य दिखाया गया है। जिला प्रशासन को इस मामले में संज्ञान लेकर निष्पक्ष जांच करानी चाहिए और दोषियों को सख्त सजा मिलनी चाहिए, तभी ग्रामीणों का भरोसा सरकारी योजनाओं पर कायम रहेगा।
मुख्य विकास अधिकारी आर. जगत साईं का बयान
जब इस फर्जीवाड़े के मामले में मुख्य विकास अधिकारी आर. जगत साईं से बात की गई, तो उन्होंने कहा:
> "मनरेगा योजना को पारदर्शी ढंग से संचालित करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। यदि चकिया ब्लॉक में कहीं भी कार्य कागजों तक ही सीमित हैं या मस्टररोल में गड़बड़ी की शिकायतें सही पाई जाती हैं तो संबंधित अधिकारियों और पंचायत प्रतिनिधियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। हम एक स्वतंत्र जांच टीम गठित करेंगे और दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।"
सीडीओ का यह बयान इस बात का संकेत है कि जिला प्रशासन इस गंभीर फर्जीवाड़े को लेकर सतर्क हो चुका है, लेकिन अब देखने वाली बात यह होगी कि सिर्फ जांच की घोषणा होती है या ज़मीनी स्तर पर दोषियों के खिलाफ ठोस कार्यवाही भी होती है।



No comments:
Post a Comment