चकिया ( मीडिया टाइम्स )। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सरकार गांवों में पानी की तरह पैसा बहा रही है।
हर गांव में प्रोत्साहन राशि के तहत व्यक्तिगत शौचालयों के साथ सामुदायिक शौचालय बना दिए गए पर इनका उपयोग आज तक नहीं हो पा रहा है। चकिया ब्लॉक में लगभग 89 ग्राम सभा में 89 सामुदायिक शौचालयों बना हुआ है लेकिन सुचारु रूप से मात्र ही कुछ खुलते है अधिकतर ताला लटका है, बाकि का कभी कभार प्रयोग होता है। जबकि इनके संचालन को तैनात की गई महिला केयर टेकरों के खातों में हर माह नौ हजार रुपये जा रहा। सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के प्रति जिम्मेदार इतने लापरवाह कि आज तक किसी शौचालय का निरीक्षण ही नहीं किया। चकिया ब्लॉक 89 ग्राम पंचायतों में से 89 गांवों में सामुदायिक शौचालय बन गए हैं। इनको बनने में लाख खर्च हुआ है। वर्ष 2021 में चुने गए प्रधानों ने इनके निर्माण में इतनी तेजी दिखाई कि यह चंद महीने में तैयार हो गए। इनके संचालन को किसी ने गंभीरता नहीं बरती। जिला पंचायत राज विभाग से इनके संचालन की जिम्मेदारी महिला स्वयं सहायता समूहों को दे दी। इसके देखरेख के लिए छह हजार और साफ-सफाई के लिए तीन हजार रुपये मानदेय तय हुआ था। पर स्थिति गंभीर है। 89 शौचालयों में महीनों से ताला लटका है। कुछ ऐसे भी शौचालय हैं जहां पहली बार प्रयोग हुआ तो उसकी सफाई नहीं हो सकी।
अधिकारी नहीं करते इनका निरीक्षण
सामुदायिक शौचालयों के संचालन की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी की है। इनकी वास्तविक स्थिति की जानकारी जिला पंचायत राज विभाग को लेनी होती है। ब्लाक स्तर से सभी की रिपोर्टिंग ओके दिखाई जाती है पर हकीकत देखने कोई नहीं जाता है।



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