जातिसूचक शब्दों और गाली-गलौज के आरोप में सहायक अध्यापक निलंबित, एफआईआर दर्ज न होने से उठ रहे सवाल
चंदौली। चकिया ब्लॉक के प्राथमिक विद्यालय गौरी में महिला शिक्षा मित्र के साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग और गाली-गलौज करने वाले सहायक अध्यापक पर आखिरकार शिक्षा विभाग ने शिकंजा कस दिया है। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी चंदौली सचिन कुमार ने सहायक अध्यापक दिलीप कुमार सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय ब्लॉक संसाधन केंद्र, सदर निर्धारित किया गया है और उन्हें नियमों के अनुसार केवल जीविकोपार्जन भत्ता ही मिलेगा।
लगातार कर रहे थे अभद्रता
विद्यालय में कार्यरत महिला शिक्षा मित्र ने आरोप लगाया था कि सहायक अध्यापक कई बार उनके साथ जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हैं और गाली-गलौज कर अपमानित करते हैं। शिकायत में कहा गया कि विद्यालय का वातावरण बिगाड़ने के साथ-साथ वह अध्यापक अनुशासनहीन व्यवहार करते रहे। यह आरोप पहली बार नहीं लगा बल्कि कई बार की घटनाओं के बाद पीड़िता ने आवाज़ उठाई।
पुलिस-प्रशासन को दी गई थी शिकायत
पीड़िता ने इस मामले की लिखित शिकायत बीईओ चकिया और थाना बबुरी को दी थी। बबुरी पुलिस ने इसे सीओ स्तर की जांच का विषय बताते हुए उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन शिकायत दर्ज हुए कई दिन बीत जाने के बावजूद अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है, जिससे पीड़िता और शिक्षा जगत में असंतोष व्याप्त है।
निलंबन आदेश में दर्ज आरोप
बीएसए कार्यालय से जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि सहायक अध्यापक का आचरण गंभीर अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है। आदेश में चार बिंदुओं पर आरोप तय किए गए हैं—
⚫महिला शिक्षा मित्र के प्रति जातिसूचक शब्दों का प्रयोग,
⚫गाली-गलौज और अभद्र व्यवहार
⚫विद्यालय का अनुशासन भंग करना,तथा शिक्षक आचरण नियमावली का उल्लंघन करना।
बीएसए ने इसे उत्तर प्रदेश सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 एवं अनुशासन एवं अपील नियमावली 1999 का उल्लंघन बताते हुए निलंबन को आवश्यक कदम माना।
कार्रवाई में देरी पर उठे सवाल
हालाँकि निलंबन आदेश जारी कर दिया गया है, लेकिन इस पूरे प्रकरण में शिक्षा विभाग और पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि आरोपी शिक्षक के कुछ अधिकारियों और सत्ता से करीबी संबंध होने के कारण शिकायत के बावजूद कार्रवाई लंबे समय तक टलती रही। अब जबकि विभागीय स्तर पर निलंबन हो चुका है, एफआईआर दर्ज न होने से न्याय मिलने की संभावना को लेकर शंका जताई जा रही है।
शिक्षा का मंदिर कहलाने वाले विद्यालय में घटित यह घटना पूरे जनपद में चर्चा का विषय बनी हुई है। विभागीय कार्रवाई से पीड़िता को आंशिक राहत तो मिली है, लेकिन पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज न किए जाने से न्याय की उम्मीद अधूरी है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या आरोपी शिक्षक पर विधिक कार्रवाई भी होगी या मामला विभागीय निलंबन तक ही सीमित रह जाएगा।





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