चकिया ब्लॉक के सोनहुल गांव में मनरेगा में बड़ा फर्जीवाड़ा: कागजों पर 30 मजदूर, मौके पर पसरा सन्नाटा,बेचन पांडेय के लैब से मुर्दा स्थल तक इंटरलॉकिंग का कार्य
चकिया,चंदौली। चकिया ब्लॉक अंतर्गत सोनहुल गांव में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत चल रहे विकास कार्यों में बड़ा घोटाला सामने आया है। गांव में जिला पंचायत के माध्यम से सोनहुल में बेचन पांडेय के लैब से मुर्दा स्थल तक इंटरलॉकिंग का कार्य कराए जा रहे कार्यों में 30 मजदूरों की उपस्थिति कागजों पर दर्ज है, लेकिन जब मौके पर हकीकत देखी गई तो वहाँ सन्नाटा पसरा हुआ था। न कोई मजदूर, न कोई कार्य – सब कुछ सिर्फ कागजों पर संचालित हो रहा है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें मनरेगा के तहत किसी भी प्रकार का कार्य नहीं मिला है और ना ही कार्यस्थल पर कोई गतिविधि देखने को मिल रही है। इसके बावजूद सरकारी पोर्टल पर सोनहुल गांव में मिट्टी कार्य, समतलीकरण और जल संरक्षण जैसे कार्यों में दर्जनों मजदूरों की हाजिरी चढ़ाई जा रही है।
ग्रामीण रामसागर, ललिता देवी, हरिनारायण, और शांति देवी का कहना है कि “हमसे कहा गया था कि मनरेगा के तहत काम मिलेगा, लेकिन हफ्तों बीत गए, किसी को कोई काम नहीं मिला। फिर भी बाहर से लोग आकर फोटो लेकर चले जाते हैं और बाद में सुनने को मिलता है कि हम काम कर रहे हैं।”
मजदूरों की हाजिरी मोबाइल ऐप के माध्यम से दर्ज की जाती है जिसे एनएमएमएस (नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम) कहा जाता है। लेकिन सोनहुल में ये तकनीक अब फर्जीवाड़े का हथियार बन चुकी है। मजदूरों की पुरानी या अलग स्थान की तस्वीरें अपलोड कर काम का दिखावा किया जा रहा है, जबकि मौके पर कोई कार्य नहीं हो रहा।
इस मामले में रोजगार सेवक और जिला पंचायत के ठेकेदार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। मनरेगा योजना में कथित रूप से जारी 30 मजदूरों की दैनिक मजदूरी का भुगतान आखिर किसे हो रहा है, यह सवाल प्रशासन के लिए गंभीर जांच का विषय है।
यह पहला मामला नहीं है जब चकिया ब्लॉक में मनरेगा योजना में फर्जीवाड़े की बू आई हो। इससे पहले सोनहुल, हेतिमपुर,नेवाजगंज, डबरी कला जैसे गांवों में कागजी मजदूरी और हवा में कार्यों की पोल खुल चुकी है।
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से अपील की है कि इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग रोका जा सके और गरीब मजदूरों को उनका हक मिल सके।








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