चकिया ब्लॉक के नसरथा ग्राम पंचायत में सामुदायिक शौचालय पर लटका ताला, एडीओ पंचायत नारायण दत्त तिवारी क्यों साधे हैं चुप्पी?
चंदौली। चकिया विकासखंड अंतर्गत नसरथा ग्राम पंचायत में लाखों रुपये की लागत से बना सामुदायिक शौचालय अब महज एक दिखावा बनकर रह गया है। जिस उद्देश्य से यह शौचालय ग्रामीणों की सुविधा के लिए बनाया गया था, वह कहीं पीछे छूटता दिख रहा है। गेट पर ताला लटका है और परिसर सूना पड़ा है, जैसे यहां कभी कोई उपयोग ही नहीं हुआ हो।
बंद पड़े शौचालय पर सवाल
स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो शौचालय निर्माण के बाद से ही उसे ठीक से न खोला गया और न ही उपयोग में लाया गया। ग्राम पंचायत के जिम्मेदार अधिकारियों ने न तो यहां पर किसी सफाईकर्मी की नियुक्ति की, और न ही इसकी देखरेख का कोई इंतजाम किया। अब यह शौचालय ताले में जकड़ा हुआ पड़ा है, जबकि ग्रामीण खुले में शौच करने को मजबूर हैं।
ग्राम प्रधान का ‘काम’ केवल बजट पार करवाना और कमीशन लेना?
सूत्रों की मानें तो ग्राम प्रधान का मुख्य फोकस केवल बजट पार कराना और उसमें से ‘हिस्सा’ निकालना है। चाहे वह मनरेगा के कार्य हों, शौचालय का निर्माण हो या पंचायत भवन में रंगाई-पुताई — हर जगह लूट का सिस्टम सेट किया गया है। कुछ मामलों में बिना कार्य के ही भुगतान की आशंका भी जताई जा रही है।
एडीओ पंचायत की भूमिका संदिग्ध
गांव के लोगों ने कई बार पंचायत सचिव और एडीओ पंचायत नारायण दत्त तिवारी से इसकी शिकायत की, लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन देकर टाल दिया गया। हैरानी की बात तो यह है कि जब मीडिया ने एडीओ पंचायत से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने बात करने से इनकार कर दिया। उनकी चुप्पी कई सवालों को जन्म देती है — क्या यह चुप्पी किसी मिलीभगत का हिस्सा है? क्या शौचालय के रखरखाव का पैसा केवल कागजों पर खर्च हो रहा है?
शौचालय निर्माण में अनियमितता की बू
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि शौचालय निर्माण में घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया गया है और निर्माण कार्य में भी भारी अनियमितता बरती गई। पूरे परिसर में सफाई का नामोनिशान नहीं है, पानी की कोई व्यवस्था नहीं है और शौचालय की दीवारें पहले से ही झड़ने लगी हैं। इससे स्पष्ट होता है कि सिर्फ योजना का पैसा खर्च करने के लिए काम कराया गया, उपयोगिता की कोई चिंता नहीं की गई।
किसकी जवाबदेही तय होगी?
अब बड़ा सवाल यह है कि जब सरकार खुले में शौच मुक्त भारत की बात कर रही है, तो आखिर इन योजनाओं को जमीन पर उतारने वाले अधिकारी क्यों असफल हो रहे हैं? नसरथा का यह मामला अकेला नहीं है, बल्कि पूरे चकिया ब्लॉक में ऐसे कई शौचालय हैं जो ताले में बंद हैं या उपयोग से बाहर हैं।
जांच की मांग
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी चंदौली से मांग की है कि इस मामले में जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई की जाए, ताकि भविष्य में इस तरह की लापरवाहियों पर अंकुश लगे। साथ ही, ग्रामीणों को तुरंत स्वच्छ और चालू सामुदायिक शौचालय की सुविधा मिले।




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