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Sunday, July 20, 2025

चकिया के फिरोजपुर पंचायत में मनरेगा घोटाला: आखिर क्यों चुप हैं खंड विकास अधिकारी?

चकिया के फिरोजपुर पंचायत में मनरेगा घोटाला: आखिर क्यों चुप हैं खंड विकास अधिकारी?




चकिया/फिरोजपुर। एक ओर सरकार गांवों में गरीबों के रोजगार के लिए मनरेगा योजना पर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर चकिया ब्लॉक के फिरोजपुर ग्राम पंचायत में इस योजना को लूट का जरिया बना लिया गया है। सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि इस पूरे खेल की जानकारी होने के बावजूद खंड विकास अधिकारी चकिया आखिर क्यों कार्रवाई नहीं कर रहे?




लाखों का घोटाला, मजदूर हो रहे शोषण का शिकार

ग्राम पंचायत फिरोजपुर में कागजों पर मजदूरों की लंबी फौज दिखाई जा रही है। मस्टर रोल में 224 मजदूरों का नाम चढ़ाया जाता है। लेकिन जब हकीकत जानने संवाददाता मौके पर पहुंचे तो सिर्फ गिनती के मजदूर दिखे। अधिकतर मजदूरों ने साफ कहा कि उन्हें केवल साइन करवाने के लिए बुलाया जाता है, काम बहुत कम या बिल्कुल नहीं कराया जाता।




बीडीओ और पंचायत सचिव की मिलीभगत

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान अकेले यह खेल नहीं खेल रहे। उनके साथ पंचायत सचिव और खंड विकास अधिकारी की पूरी मिलीभगत है। सचिव मस्टर रोल भरकर भुगतान की फाइलें बीडीओ कार्यालय भेजते हैं और वहां से बिना किसी जांच के पास हो जाता है। बीडीओ की मौन स्वीकृति के बिना पंचायत स्तर पर लाखों रुपये का फर्जी भुगतान संभव ही नहीं है।




एक स्थानीय मजदूर रामू ने बताया, “हमके हफ्ते में एक दिन बुला के साइन करावेल जाला, बाकिर मस्टर पर रोज का सिग्नेचर होत बा। पूरा पैसा प्रधान-सचिव और ऊपर वाला लोग खा जात बा।”





बीडीओ की चुप्पी पर उठे सवाल

पूरे गांव में चर्चा है कि खंड विकास अधिकारी आंख मूंदकर प्रधान और सचिव को खुली छूट दे रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार लिखित और मौखिक शिकायत करने के बावजूद न कोई जांच होती है और न ही कार्रवाई। जब कोई आवाज उठाता है तो उल्टा धमकियां मिलती हैं।





अधिकारियों की चुप्पी का क्या कारण?


क्या बीडीओ खुद भी इस बंदरबांट में हिस्सेदार हैं?

या पंचायत सचिव और प्रधान के दबाव में कार्यवाही नहीं हो रही?

आखिर मजदूरों के हक की कमाई कब तक लूटी जाती रहेगी?




इन सवालों के जवाब न तो पंचायत सचिव देते हैं और न ही खंड विकास अधिकारी। प्रशासन की चुप्पी से ग्रामीणों में आक्रोश है।





ग्रामीणों की मांग - हो निष्पक्ष जांच


ग्रामीणों ने मांग की है कि जिले के उच्च अधिकारियों से इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए। बीडीओ, पंचायत सचिव और प्रधान तीनों पर एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई हो। साथ ही मस्टर रोल और भुगतान की पूरी जांच कर दोषियों को जेल भेजा जाए।




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