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Wednesday, July 9, 2025

मुजफ्फरपुर ग्राम पंचायत में मनरेगा घोटाला: कागजों पर 309 मजदूर, मौके पर मुट्ठी भर लोग

 मुजफ्फरपुर ग्राम पंचायत में मनरेगा घोटाला: कागजों पर 309 मजदूर, मौके पर मुट्ठी भर लोग






चकिया। ब्लॉक के अंतर्गत मुजफ्फरपुर ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के अंतर्गत बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। दस्तावेजों में जहां 309 मजदूरों को कार्यरत दिखाया गया है, वहीं मौके पर केवल गिनती के मजदूर ही कार्य करते पाए गए। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि ग्राम पंचायत सचिव और रोजगार सेवक की मिलीभगत से लाखों रुपये का भ्रष्टाचार किया जा रहा है।






स्थानीय लोगों के अनुसार, पंचायत में मनरेगा कार्य केवल कागजों तक ही सीमित हैं। मस्टररोल में फर्जी नाम और हस्ताक्षर दर्ज कर मजदूरी का भुगतान लिया जा रहा है, जबकि धरातल पर ना तो कोई ठोस कार्य हो रहा है और ना ही मजदूर नजर आते हैं। कहीं-कहीं तो काम की जगह मशीनों से खुदाई कराई जा रही है, जो मनरेगा के नियमों के खिलाफ है।









एक ग्रामीण ने बताया, "हमारे नाम से हाजिरी लगती है, लेकिन हमें कभी काम नहीं दिया गया। बाद में पता चलता है कि भुगतान हो चुका है।"




ग्रामीणों का आरोप: फोटो खिंचवाने के लिए भी दी जाती है रिश्वत


स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि मजदूरी के नाम पर कई बार उन्हें केवल फोटो खिंचवाने के लिए बुलाया जाता है। एक ग्रामीण ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "हमें ₹100–₹200 देकर बुलाया जाता है कि आओ, फोटो खिंचवाना है। उसके बाद मस्टररोल में नाम चढ़ा दिया जाता है और पूरा भुगतान किसी और के खाते में चला जाता है।"


इससे यह स्पष्ट होता है कि ग्राम पंचायत सचिव और रोजगार सेवक की मिलीभगत से योजनाओं में भारी गड़बड़ी हो रही है। कागजों पर मजदूरों के नाम, हाजिरी और भुगतान की पूरी प्रक्रिया पूरी की जाती है, जबकि धरातल पर न तो काम होता है और न ही मजदूरों को वास्तविक लाभ मिलता है।






इस गंभीर मामले पर जब डीसी मनरेगा से बात की गई तो उन्होंने कहा, "प्रथम दृष्टया मामला गंभीर प्रतीत हो रहा है। हम जांच करवा रहे हैं और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार की मंशा है कि गरीबों को रोजगार मिले, न कि अफसरशाही और दलालों के जेब भरे जाएं।





फिलहाल ग्रामीणों ने भी जिला प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को निलंबित कर उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जाए। यदि इस पर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो अन्य पंचायतों में भी ऐसे फर्जीवाड़े को बढ़ावा मिलेगा।

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