मनरेगा में फर्जीवाड़ा: नसरथा पंचायत में केवल कागजों पर चल रहे 161 मजदूर, मौके पर गिनती भर,एक ही फोटो को तोड़ मरोड़ कर किया जा रहा कई बार अपलोड, फिर भी अधिकारी चुप्पी साधे
चकिया (चंदौली)। चकिया ब्लाक के नसरथा ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत भारी फर्जीवाड़ा सामने आया है। ग्राम पंचायत में दर्ज 161 मजदूरों में से अधिकांश केवल कागजों पर कार्यरत हैं, जबकि मौके पर सिर्फ गिनती के मजदूर ही काम करते दिखाई दिए। यह मामला न केवल ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार को उजागर करता है, बल्कि जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े करता है।
ग्रामीणों ने बताया कि कई ऐसे मजदूर हैं जिनका नाम मस्टर रोल में दर्ज है, लेकिन उन्हें काम की न तो कोई जानकारी है और न ही वे कभी मजदूरी करने गए हैं। इसके बावजूद उनके नाम पर मजदूरी निकाली जा रही है। इस पूरे घोटाले में ग्राम प्रधान, ग्राम पंचायत सचिव और संबंधित तकनीकी सहायक की भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।
एक ही फोटो को तोड़ मरोड़ कर किया जा रहा कई बार अपलोड, फिर भी अधिकारी चुप्पी साधे
चकिया ब्लॉक के नसरथा ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के तहत भारी अनियमितता सामने आई है। यहां एक ही मजदूर की फोटो को तोड़-मरोड़कर अलग-अलग नामों से कई बार अपलोड किया जा रहा है, जिससे यह साबित होता है कि मस्टर रोल पूरी तरह फर्जी है। एक ही तस्वीर को घुमा कर, काट-छांट कर और नाम बदलकर अपलोड कर दिया जाता है, ताकि ज्यादा मजदूर दिखाकर फर्जी भुगतान किया जा सके। यह साफ दर्शाता है कि संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत से मजदूरों के नाम पर लाखों रुपये की हेराफेरी की जा रही है। विभाग अभी भी मौन है।
एपीओ रंजीत कुमार जायसवाल ने दिया जांच का आश्वासन
जब इस पूरे मामले पर एपीओ मनरेगा चकिया से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,
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"मामले की जानकारी मिली है, जांच करवाई जाएगी और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।"
हालांकि यह आश्वासन महज औपचारिक बयान की तरह प्रतीत होता है, क्योंकि मौके की स्थिति और विभागीय चुप्पी कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
खंड विकास अधिकारी चकिया विकास सिंह 100 दिन का कार्य मजदूरों को बोलकर लूट रहे बहवाई
चकिया ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी विकास सिंह पर गंभीर आरोप लग रहे हैं कि वे मनरेगा के तहत मजदूरों को 100 दिन काम दिलाने का सिर्फ भरोसा देकर असल में उनकी मजदूरी की लूट में शामिल हैं। नसरथा ग्राम पंचायत में 161 मजदूरों को कागजों पर काम दिखाकर लाखों रुपये का गबन किया जा रहा है। मौके पर मजदूर नदारद हैं, लेकिन मस्टर रोल में उनकी नियमित हाजिरी दर्ज है। ग्रामीणों का कहना है कि बीडीओ की मिलीभगत के बिना इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव नहीं। जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती की जा रही है, कार्रवाई शून्य है।
डीसी मनरेगा नहीं उठा रहे फोन
वहीं, डीसी मनरेगा चंदौली से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया लेने की कई कोशिशें की गईं, लेकिन उन्होंने फोन उठाना तक मुनासिब नहीं समझा। इससे यह स्पष्ट है कि जिला स्तर पर भी इस मामले को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है।
ग्रामीणों की मांग: कार्रवाई हो तुरंत
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई नया मामला नहीं है। मनरेगा में इस तरह की अनियमितताएं पहले भी सामने आती रही हैं, लेकिन जांच के नाम पर सिर्फ खानापूरी की जाती है और दोषी आसानी से बच निकलते हैं।
अब ग्रामीणों की मांग है कि उच्चस्तरीय जांच कर इस घोटाले में शामिल सभी दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि गरीब मजदूरों के हक पर डाका डालने वालों को सबक मिल सके।
प्रमुख बिंदु:
161 मजदूरों के नाम कागजों पर, मौके पर कुछ ही लोग कर रहे कार्य।
मस्टर रोल में भारी गड़बड़ी की आशंका।
ग्राम प्रधान, सचिव और तकनीकी सहायक की भूमिका संदिग्ध।
एपीओ ने दिया जांच का भरोसा, डीसी मनरेगा चुप्पी साधे।























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