चंदौली /लोक मीडिया । क्षेत्र के गांव नगर मे बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती जी प्रतिमा स्थापित कर युवाओं ने विधि विधान के पूजन अर्चन किया। नगर चकिया मे गंगा जमुना की तहजीब कायम रखते हुए मुस्लिम समुदाय के राज ऊर्फ फरदीन युवा ने अपने सहयोगियों के साथ महाराजा किला के पास मां सरस्वती जी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन अर्चन किया। जो क्षेत्र में काफी चर्चा है। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती जी की पूजन अर्चन बड़ी ही धूमधाम से की गई । और सभी शिक्षा केंद्रों व विद्यालयों में पूर्वान्ह के समय ही सरस्वती पूजा कर माता सरस्वती का आशीर्वाद ग्रहण किया ।
बताया जाता है कि छः ऋतुएं में बसंत को 'ऋतुओं का राजा' कहा जाता है। बसंत फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्योहार भी है। ऋतुराज बसंत का बहुत महत्व है। ठंड के बाद प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ, आमों के पेड़ों पर आए फूल, चारों तरफ हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को और भी खुशनुमा बना देती है।
कहा जाता है कि सृष्टि की रचना करते समय ब्रह्माजी ने मनुष्य और जीव-जंतु योनि की रचना की। इसी बीच उन्हें महसूस हुआ कि कुछ कमी रह गई है जिसके कारण सभी जगह सन्नाटा छाया रहता है। इस पर ब्रह्माजी ने अपने कमंडल से जल छिड़का जिससे 4 हाथों वाली एक सुंदर स्त्री, जिसके एक हाथ में वीणा थी तथा दूसरा हाथ वरमुद्रा में था तथा अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी, प्रकट हुई।
ब्रह्माजी ने वीणावादन का अनुरोध किया जिस पर देवी ने वीणा का मधुर नाद किया। जिस पर संसार के समस्त जीव-जंतुओं में वाणी व जल धारा कोलाहल करने लगी तथा हवा सरसराहट करने लगी। तब ब्रह्माजी ने उस देवी को 'वाणी की देवी सरस्वती' का नाम दिया।
मां सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादिनी और वाग्देवी आदि कई नामों से भी जाना जाता है। ब्रह्माजी ने माता सरस्वती की उत्पत्ति वसंत पंचमी के दिन की थी, यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष वसंत पंचमी के दिन ही देवी सरस्वती का जन्मदिन मानकर पूजा-अर्चना की जाती है। विद्या की देवी सभी में को विद्या देती हैं जहा छात्र मां सरस्वती देवी की पूजा कर अपनी मनोकामना मांगते है ।



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