कंपनियों के समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके कहा कि वे श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास पर्याप्त वित्तीय भंडार नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है.
लॉकडाउन के दौरान मजदूरी के भुगतान से छूट मिलने की आस लिए कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने केंद्र से अनुरोध किया है कि इस मुद्दे पर तत्काल व्यवहार करें क्योंकि बहुत सारे लोग प्रभावित हैं.
दरअसल, कंपनियों के समूह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके कहा कि वे श्रमिकों को मजदूरी का भुगतान नहीं कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास पर्याप्त वित्तीय भंडार नहीं है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से एक सप्ताह में विस्तृत जवाब दाखिल करने को कहा है.
इस याचिका पर सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार ने 17 मई को एक नई अधिसूचना पारित की है, जो 29 मार्च की गृह मंत्रालय की अधिसूचना को समाप्त कर देती है. 29 मार्च 2020 के आदेश में गृह मंत्रालय ने कंपनियों से लॉकडाउन की अवधि का वेतन न काटने का निर्देश दिया था.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी मामलों को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया जाता है, क्योंकि भारत सरकार इस सप्ताह में प्रतिक्रिया दाखिल करेगी.
कोर्ट ने कार्रवाई पर लगाई थी रोक
गौरतलब है कि मजदूरों के वेतन को लेकर एमएसएमई के एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आदेश दिया था कि कर्मचारियों को वेतन नहीं दे सकने वाली कंपनियों के खिलाफ एक हफ्ते तक कोई कार्रवाई न की जाए. कोर्ट ने कहा था कि बहुत सी छोटी कंपनियां कामकाज जारी रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई हुई. हालांकि, इस सुनवाई से पहले सरकार ने कंपनियों को अपने कर्मचारियों को लॉकडाउन की अवधि का वेतन देने से राहत दे दी. गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश में कहा गया था, 'इस आदेश में बताए गए दिशानिर्देशों के अलावा एनईसी द्वारा जारी बाकी सभी निर्देश 18 मई 2020 से अमल में नहीं रह जाएंगे.'



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