शहाबगंज ब्लॉक में मनरेगा भ्रष्टाचार का खुला खेल, कागजों में मजदूर—धरातल पर सन्नाटा,मुबारकपुर में मनरेगा घोटाला उजागर
शहाबगंज (चंदौली)। ब्लॉक के मुबारकपुर ग्राम पंचायत में मनरेगा योजना के नाम पर बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा सामने आया है। ब्लॉक प्रमुख निधि से संचालित कार्यों में वास्तविक मजदूरों की बजाय कागजों पर भारी संख्या में मजदूर दिखाकर सरकारी धन की बंदरबांट किए जाने का आरोप ग्रामीणों व क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने लगाया है।
क्षेत्रीय ग्रामीणों के अनुसार मौके पर कार्य नगण्य है, लेकिन अभिलेखों में सैकड़ों मानव दिवस दर्शाकर भुगतान निकाला जा रहा है। सबसे गंभीर आरोप यह है कि पुरानी तस्वीरें बार-बार अपलोड कर फर्जी प्रगति रिपोर्ट बनाई जाती है, मास्टर रोल में नाम किसी और का होता है और काम कोई और कर देता है, या कई बार काम होता ही नहीं।
दर्ज कार्य बनाम हकीकत
पंचायत – मुबारकपुर, ब्लॉक – शहाबगंज
1. कार्य कोड: 3171008/एलडी/958486255824945020
एमएसआर: 12465
कार्य नाम: सोमारू के खेत से लोलारक के खेत तक बंधी निर्माण
– कागजों में 17 मजदूर दर्ज
– मौके पर श्रमिक लगभग शून्य
2. कार्य कोड: 3171008/एलडी/958486255824876657
एमएसआर: 12437
कार्य नाम: रजिंदर के खेत से मुलायम के खेत तक चकरोड पर मिट्टी कार्य
– अभिलेखों में 43 मजदूर
– धरातल पर काम ठप
कुल मिलाकर करीब 60 मजदूर केवल कागजों में मौजूद हैं, जबकि जमीनी स्तर पर न कार्य प्रगति नजर आती है, न ही मजदूर।
कमीशनखोरी के गंभीर आरोप
एक क्षेत्र पंचायत सदस्य ने खुलासा करते हुए कहा कि
“ब्लॉक से लेकर जिला स्तर तक कमीशन की श्रृंखला बनी हुई है, इसी वजह से मनरेगा में खुलेआम घोटाले हो रहे हैं। शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं होती, क्योंकि सारा सिस्टम एक-दूसरे को बचाने में जुटा रहता है।”
अधिकारी का बयान
इस संबंध में खंड विकास अधिकारी शहाबगंज, दिनेश सिंह का कहना है—
“मामला संज्ञान में आया है, जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी।”
हालांकि ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का सवाल है कि क्या यह बयान केवल कागजों तक ही सीमित रहेगा या वास्तव में दोषियों पर कार्रवाई होगी? क्योंकि इससे पहले भी कई मामलों में ऐसी घोषणाएं हुईं, पर धरातल पर परिणाम नहीं दिखा।
जनता की मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि—
- पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
- फर्जी मास्टर रोल, फोटो अपलोड और भुगतान की तकनीकी ऑडिट हो।
- दोषी वीडीओ, एपीओ, ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत व अन्य संलिप्त कर्मियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
- असली मजदूरों को रोजगार और बकाया भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
मनरेगा जैसी गरीबों की आजीविका से जुड़ी योजना का इस तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ना सरकार की
जीरो टॉलरेंस नीति पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस खुली लूट पर कब और क्या ठोस कदम उठाता है।

















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