चकिया ब्लॉक में मनरेगा फर्जीवाड़ा! — कागज़ों पर मजदूर, जमीनी हकीकत में बिचौलियों का राज,परसियाकला ग्राम पंचायत का मामला, खंड विकास अधिकारी विकास सिंह पर उठे सवाल
चकिया (चंदौली)। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी मनरेगा योजना (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) का मकसद गांवों में गरीब मजदूरों को रोजगार देना है, लेकिन चकिया ब्लॉक में यह योजना अब भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है।
सूत्रों के मुताबिक, चकिया ब्लॉक के खंड विकास अधिकारी विकास सिंह के कार्यकाल में कई ग्राम पंचायतों में मनरेगा के नाम पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। ग्राम पंचायत परसियाकला में तो स्थिति इतनी गंभीर है कि कागजों पर 97 मजदूर कार्यरत दिखाए गए हैं, जबकि मौके पर बमुश्किल कुछ ही लोग काम करते दिखते हैं।
व्यक्तिगत कार्य को सामुदायिक बताकर किया जा रहा भुगतान
स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि कई जगह व्यक्तिगत लाभ के कार्यों को सामुदायिक कार्य बताकर सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है। कुछ मामलों में तो दूसरे स्थान की पुरानी तस्वीरें लगाकर फर्जी कार्यों का भुगतान दिखाया गया है।
फर्जी फोटो और कागजी खानापूर्ति से पूरा हो रहा मनरेगा का खेल
जांच में सामने आया है कि पुराने ही फोटोज बार-बार उपयोग कर कार्य दिखाया जा रहा है, जबकि मौके पर कोई निर्माण या मरम्मत कार्य नहीं हो रहा। इस तरह से कागजों पर काम दिखाकर लाखों रुपये का फर्जी भुगतान कर दिया गया।
डीसी मनरेगा की चुप्पी पर सवाल
कैलाश,रंजीत ग्रामवासियों ने बताया कि मनरेगा में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े की सूचना जिला स्तर पर कई बार दी गई, लेकिन डीसी मनरेगा और ब्लॉक प्रशासन मौन हैं। पंचायत के अंतिम वर्ष में इस तरह का भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है।
ग्रामीणों की मांग — उच्चस्तरीय जांच हो
ग्रामीणों ने मांग की है कि मनरेगा कार्यों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और इसमें संलिप्त अधिकारियों-बिचौलियों पर कठोर कार्रवाई की जाए।
> “मनरेगा गरीबों के हित के लिए बनी थी, लेकिन आज इसका लाभ बिचौलियों और अफसरों को मिल रहा है। अगर यही हाल रहा तो योजना का उद्देश्य ही समाप्त हो जाएगा।” — ग्रामीणों का बयान।









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