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Sunday, August 17, 2025

शिकारगंज क्षेत्र के कल्यानीचक देशी शराब की दुकान पर खुलेआम ओवररेटिंग, विभागीय चुप्पी से उपभोक्ता हो रहे शोषित

 शिकारगंज क्षेत्र के कल्यानीचक देशी शराब की दुकान पर खुलेआम ओवररेटिंग, विभागीय चुप्पी से उपभोक्ता हो रहे शोषित






चकिया/शिकारगंज (चंदौली)। शिकारगंज क्षेत्र के कल्यानीचक में स्थित देशी शराब की दुकान इन दिनों ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। कारण यह है कि यहां खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए निर्धारित मूल्य से अधिक रुपये वसूले जा रहे हैं। इतना ही नहीं, शराब बिक्री का समय तय होने के बावजूद पैसा अधिक देने पर यहां चौबीसों घंटे शराब उपलब्ध करा दी जाती है। उपभोक्ता मजबूरी में अतिरिक्त रकम चुका रहे हैं, जबकि आबकारी विभाग को सबकुछ पता होते हुए भी वह ‘कुंभकर्णीय निद्रा’ में सोया हुआ है।



ओवररेटिंग का धंधा बेखौफ जारी


स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि कल्यानीचक शराब की दुकान पर हर बोतल निर्धारित मूल्य से 10 से 20 रुपये अधिक लेकर बेची जा रही है। यदि कोई उपभोक्ता इसका विरोध करता है तो उसे शराब देने से मना कर दिया जाता है। दुकान का सेल्समैन बेखौफ होकर कहता है कि “हर महीने विभाग को बंधा महीना जाता है, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं होगी।” इस बयान ने उपभोक्ताओं के बीच हड़कंप मचा दिया है।






24 घंटे बिक्री का खुला खेल


आबकारी कानून के अनुसार शराब बिक्री का समय सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक निर्धारित है। लेकिन कल्यानीचक दुकान पर यह नियम केवल कागजों तक सीमित है। ग्रामीणों का आरोप है कि अगर ग्राहक तय समय के बाद भी दुकान पहुंचकर निर्धारित मूल्य से अधिक पैसा देने को तैयार हो जाए, तो किसी भी समय शराब आसानी से उपलब्ध हो जाती है। यही नहीं, कई बार देर रात और सुबह-सुबह भी दुकान खुलवा कर बिक्री की जाती है। इससे साफ संकेत मिलता है कि विभागीय निगरानी पूरी तरह नदारद है और सबकुछ मिलीभगत से हो रहा है।





ग्रामीणों की पीड़ा – प्रत्यक्ष बयान


ग्रामीण अब खुलकर अपनी नाराज़गी जाहिर करने लगे हैं। बातचीत में उन्होंने अपनी मजबूरी और आक्रोश दोनों सामने रखे।


रामबचन यादव (ग्रामीण मजदूर) का कहना है – “हम लोग मजदूरी करके किसी तरह घर चलाते हैं। दुकान पर एक बोतल पर 15–20 रुपये ज्यादा देना पड़ता है। मजबूरी है, इसलिए देना पड़ता है। विरोध करने पर दुकान वाला कहता है – ऊपर तक सेटिंग है, कुछ नहीं होगा।”


सुरेश पासी (युवक) ने कहा – “यहां तो शराब 24 घंटे मिलती है। अगर जेब से ज्यादा पैसे दो तो रात दो बजे भी दुकान खुल जाती है। सरकार ने समय तय कर रखा है, लेकिन यहां कोई कानून नहीं चलता। सब विभाग की मिलीभगत से हो रहा है।”


मुन्ना गोंड (स्थानीय उपभोक्ता) ने नाराज़गी जताते हुए कहा – “हम लोगों ने कई बार शिकायत की, लेकिन हर बार जांच के नाम पर खानापूर्ति हुई। अधिकारी आते हैं, दुकान से बात करके चले जाते हैं। उसके बाद हालात वही रहते हैं। लगता है अधिकारी भी इसमें हिस्सेदार हैं।”



इन बयानों से साफ हो जाता है कि ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ रहा है और विभाग पर उनका भरोसा पूरी तरह टूट चुका है।



विभाग की चुप्पी पर उठ रहे सवाल


ग्रामीणों का कहना है कि इस गोरखधंधे की शिकायतें कई बार स्थानीय आबकारी अधिकारियों को की गईं। लेकिन शिकायत पर जांच करने के बजाय अधिकारी चुप्पी साधे रहते हैं। कई बार औपचारिकता के लिए जांच की जाती है, परंतु परिणाम शून्य ही रहता है। इससे उपभोक्ताओं के मन में यह धारणा बैठ गई है कि अधिकारी भी इस खेल का हिस्सा हैं।



"कानून क्या कहता है?


उत्तर प्रदेश आबकारी अधिनियम के तहत किसी भी दुकान पर शराब निर्धारित मूल्य पर ही बेची जानी चाहिए। दुकान के बाहर मूल्य सूची और समय का बोर्ड अनिवार्य रूप से लगाया जाना चाहिए। लेकिन कल्यानीचक दुकान पर न तो मूल्य सूची प्रदर्शित है और न ही समय का पालन। यह नियमों की खुली अवहेलना है, लेकिन कार्रवाई न होने से कानून का मजाक उड़ रहा है।


"बंधा महीना" की गूंज

दुकान के सेल्समैन का विवादित बयान – “हर महीने विभाग को बंधा महीना जाता है” – ग्रामीणों के बीच चर्चा का केंद्र बन गया है। इस बयान से साफ जाहिर है कि दुकानदार और विभागीय अधिकारियों के बीच मिलीभगत है। अगर सचमुच महीनेवार वसूली विभाग तक पहुंच रही है तो सवाल उठता है कि फिर भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं?





आबकारी विभाग का बयान

इस पूरे मामले पर जब आबकारी निरीक्षक (चकिया क्षेत्र) से बात की गई तो उन्होंने कहा –

“कल्यानीचक शराब की दुकान पर ओवररेटिंग और निर्धारित समय से बाहर बिक्री की शिकायत संज्ञान में आई है। विभाग की ओर से टीम गठित कर मौके की जांच कराई जाएगी। अगर दुकान पर गड़बड़ी पाई जाती है तो सख्त कार्रवाई होगी, जिसमें लाइसेंस निरस्त करना भी शामिल है। विभाग किसी भी तरह की अवैध वसूली या नियम उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगा।”



हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि विभाग का यह बयान सिर्फ औपचारिकता है और जब तक जमीनी स्तर पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक ऐसी बयानबाजी से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

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