महिला प्रधान ने दिया है दमदार ऑफर, युवा हुए तैयार .. बुजुर्ग हो गए बेकरार
कबड्डी-रस्साकसी के लिए पहलवानों ने कस ली कमर
नौगढ़ में नागपंचमी पर दुर्गा मंदिर पोखरे पर होगा रोचक मुकाबला, प्रतिभागियों को मिलेगा इनाम
“ऐसी हो प्रधान तो दम दिखे मैदान में” – नीलम ओहरी ने खेलों से जगाई नई चेतना
चंदौली जिले की एक महिला प्रधान ने नागपंचमी के अवसर पर 29 जुलाई, मंगलवार को युवाओं और बुजुर्गों को जो मंच दिया है, वह क्षेत्र में महिला नेतृत्व की मजबूत मिसाल बनकर सामने आया है। पंचायत बाघी की प्रधान नीलम ओहरी ने कबड्डी और रस्साकसी प्रतियोगिता की घोषणा करते हुए कहा कि गांव की ताकत सिर्फ इमारतों से नहीं, मैदानों से बनती है।
आपको बता दें कि नीलम ओहरी उन महिलाओं में से हैं, जो सिर्फ कुर्सी पर नहीं बैठीं, बल्कि गांव के हर तबके को साथ लेकर चलने की सोच को जमीन पर उतारने का कार्य कर रही हैं। महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण बनकर उन्होंने यह संदेश दिया है कि जब नेतृत्व सही हाथों में हो, तो खेल, संस्कृति और सामूहिकता सब एक साथ पनपते हैं।
युवा भी तैयार, बुजुर्ग भी बेकरार — सब दिखाएंगे ताकत का त्योहार
प्रतियोगिता में युवाओं के साथ-साथ बुजुर्गों को भी विशेष सम्मान दिया गया है।
कबड्डी विजेता टीम को दस हजार रुपए, उपविजेता को पांच हजार तथा बुजुर्गों की रस्सा कस्सी विजेता टीम को पांच हजार और उपविजेता बुजुर्ग टीम को ₹2000 दिए जाएंगे। इसके अलावा प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि द्वारा अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया जाएगा।
मंदिर परिसर बना अखाड़ा, ट्रैक पर बिछ रही मिट्टी, आयोजन को दी जा रही भव्यता
दुर्गा मंदिर पोखरे परिसर को आयोजन स्थल में बदला जा रहा है। मिट्टी डालकर समतलीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। स्थानीय लोगों की सहभागिता से पूरे क्षेत्र में उत्सव जैसा माहौल है।
पहलवानों से लेकर पत्रकार तक निर्णायक मंडल तैयार
रेफरी की भूमिका में रहेंगे ....
पहलवान राम नंदन यादव,
सहायक अध्यापक विक्रम यादव, सनराइज पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल राजू पांडे,
दैनिक जागरण के पत्रकार प्रदीप केसरी प्रतियोगिता को निष्पक्ष और प्रेरणादायक बनाने के लिए जिम्मेदारियां तय कर दी गई हैं।
प्रधान प्रतिनिधि ने कहा – यह आयोजन सिर्फ खेल नहीं, गांव की ऊर्जा है
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि दीपक गुप्ता ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि गांव के सामाजिक और शारीरिक विकास को बढ़ावा देना है।
लोगों का कहना है कि ऐसा आयोजन महिला सशक्तिकरण की असली पहचान है, जहाँ नेतृत्व सिर्फ घोषणाओं में नहीं, बल्कि जमीनी पहल में नजर आता है। प्रधान नीलम मोहरी ने यह साबित कर दिया कि गाँव की बेटियां अब केवल रसोई तक नहीं, पूरे गाँव को जोश और नेतृत्व से भी जोड़ रही हैं।




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