यह अस्पताल नहीं यमराज का घर है।
रिपोर्ट तारा शुक्ला सोनभद्र
सोनभद्र, सत्ता पक्ष के एक बड़े नेता का है संरक्षण इसी से प्रबंधक करता है मनमानी और ले लेता है जान 15 जुलाई 2025 पंचशील हॉस्पिटल में एक और मौत, मौत का यह सिलसिला काफी दिनों से चला रहा है ऐसा नहीं कि यह कोई पहली मौत है इसके पूर्व भी कई मोते हो चुकी हैं ,29 मई 2022 में इसी अस्पताल में करमा थाना क्षेत्र के लोहर तलीया गांव निवासी गुलाब यादव की पत्नी की मौत बच्चेदानी के ऑपरेशन के दौरान हो गई उसकी भी मौत ऑपरेशन थिएटर में हो गई थी लेकिन अस्पताल प्रबंधन और चिकित्सकों ने जबरिया उसकी लाश को बनारस रेफर कर दिया,। वहां अपने चहेते हॉस्पिटल में भर्ती कराने के बाद मृत घोषित कराकर वहीं जबरिया शव का अंतिम संस्कार भी करवा दिया, इसकी शिकायत लेकर जब मृतक का पुत्र पास में ही स्थित रॉबर्ट्सगंज कोतवाली पहुंचा तो वहां तत्कालीन कोतवाल एसएन मिश्रा जो पैसे पर बिका हुआ व्यक्ति था मोटी रकम लेकर उसके लड़के को पीटकर कोतवाली से भगा दिया कई दिनों तो वह इधर-उधर भटकता रहा जब उसकी मुलाकात मुझसे हुई और मैने उसकी आप बीती सोशल मीडिया पर प्रकाशित की तो पवित्र कुमार मौर्य प्रबंधक पंचशील अस्पताल ने कोतवाल को एक बार फिर खरीदा और मुझ पर ही प्राथमिकी दर्ज कर दी मुझ पर प्राथमिक होने के बाद एक विधायक ने काफी प्रसन्नता व्यक्त की थी वही विधायक आज भी इस भ्रष्ट प्रबंधक व मौत के सौदागर का संरक्षक बना हुआ है मैने भी झुकना नहीं सीखा था मैंने आंदोलन किया मजबूरन तत्कालीन जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी सोनभद्र , सी ओ सिटी व उप जिलाधिकारी सदर की एक टीम गठित की, टीम ने मौत के लिए सीधे तौर पर अस्पताल के लोगों को जिम्मेदार ठहराया । जांच में स्पष्ट लिखा था की लापरवाही से मरीज की मौत हुई लेकिन कार्रवाई नहीं हुई एक डॉक्टर लापरवाही पूर्ण उपचार करें ऑपरेशन करें जिससे मरीज की मौत हो तो यह हत्या से कम नहीं हत्या जैसेजघन्य अपराध पर भी तत्कालीन सीएमओ ने कोई प्राथमिक दर्ज नहीं कराई बल्कि उसे बचाने का भरपूर प्रयास किया इसमें हमारे कई पत्रकार साथियों ने खुलकर हमारा साथ दिया तो वहीं कुछ पत्रकार साथी अपने सब्जी और दाल की जुगाड़ में पड़े रहे उसके बाद कुछ और घटनाएं हुई दिसंबर 2023 में कम्हारी निवासी एक अधिवक्ता की पत्नी की भी इसी तरह मौत हो गई उसमें भी पांच सदस्यीय कमेटी ने जो रिपोर्ट दि वह सार्वजनिक नहीं हुई ऑपरेशन करने वाली महिला चिकित्सक को 3 महीने ऑपरेशन करने से रोक दिया गया है उन्हें एक अच्छे चिकित्सक की देखरेख में पुनः प्रशिक्षण लेनेका आदेश दिया गया नाम में भी संशोधन करने का आदेश दिया गया लेकिन नाम के संशोधन से अस्पताल में गुणवत्ता तो नहीं आएगी वहां जिस तरह मरीजों के साथ दुर्व्यवहार व लूट का सिलसिला जारी है वह पूरे स्वास्थ्य विभाग ही नहीं जीरो टारलेंस की बात करने वाली योगी सरकार के मुंह पर तमाचा है और सच्चाई तो यह है कि योगी सरकार के ही कुछ नुमाइंदे ऐसे भ्रष्ट अस्पताल संचालक को बचाने में लगे हुए हैं पवित मौर्य जिसका हिसाब किताब किया जाए तो स्वयं स्पष्ट हो जाएगा जब इसके पास कोई डिग्री नहीं थी तभी यह रेलवे फाटक के पास एक पैथोलॉजी खोलकर अपना काम करता रहा और उसके बाद भ्रष्ट स्वास्थ्य कर्मियों की मिली भगत से आधा दर्जन पैथोलॉजीयो को और संचालित किया,इस मुर्दा हो चुके जनपद के नेताओं जनप्रतिनिधियों अधिकारियों में इतना साहस नहीं कि इस भ्रष्ट अस्पताल संचालक के खिलाफ कार्रवाई करते हुए उसे जेल में डाल दें वह महिला सर्जन जो बार-बार ऑपरेशन के दौरान लोगों की जान ले रही है उसे जेल में डालने का किसी के पास साहस नहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी के पास इतना साहस नहीं कि ऐसे अस्पताल को हमेशा के लिए बंद कर दें और ऐसे प्रबंधक को अस्पताल संचालन के लिए अयोग्य घोषित कर दें पैसे पर बिके हुए लोग किसी के साथ इंसाफ नहीं कर सकते अब एक बार जब और एक महिला ने ऑपरेशन थिएटर में लापरवाही से दम तोड़ दिया है तो फिर प्रशासन खाना पूर्ति में जुट गया है एक पखवाड़े बाद फिर भ्रष्ट अस्पताल संचालक अपने अयोग्य स्वास्थ्य टीम के साथ फिर लोगों की जान लेने और लूटने में व्यस्त हो जाएगा इस जनपद के नौजवान जो सिर्फ सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं क्या वह भी इस तरह के भ्रष्ट लोगों का फैसला नहीं कर सकते एक आंदोलन ऐसे भ्रष्ट लोगों को उखाड़ सकेगा सारी जातिवादी मानसिकता को ध्वस्त कर देगा वह जनप्रतिनिधि जो ऐसे भ्रष्ट लोगों का साथ दे रहा है उनकी खटिया खड़ी कर देगा लेकिन नहीं इस जनपद में ऐसा नहीं हो सकता क्योंकि यह जनपद मुर्दों का शहर है।




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