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Friday, July 4, 2025

जातिसूचक गालियां देकर दलित फल विक्रेता को धमकाया, मौके पर भीड़ और आरोपी में हुई नोकझोंक – निर्दोषों की हुई गिरफ्तारी

जातिसूचक गालियां देकर दलित फल विक्रेता को धमकाया, मौके पर भीड़ और आरोपी में हुई नोकझोंक – निर्दोषों की हुई गिरफ्तारी


            ब्राह्मण युवक और मौजूद लगों के साथ नोक झोक


चकिया(मीडिया टाइम्स)। चकिया क्षेत्र के मुख्य बाजार(गांधी पार्क) में गुरुवार को उस वक्त हड़कंप मच गया जब फल विक्रय कर रहे सोनकर समाज के एक दलित युवक को एक मनबढ़ ब्राह्मण मिथिलेश चौबे निवासी मलदह जो कि सोनहुल लक्ष्मी हॉस्पिटल में पी आर ओ का कार्य करता है ने जातिसूचक गालियां देते हुए जान से मारने की धमकी दी। मामूली सी बात केवल फल की कीमत को लेकर हुई थी, जो अचानक विवाद का रूप ले बैठी।



निर्दोष लोगों को गिरफ्तार करने के बाद आक्रोश में ग्रामवासी 




प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, आरोपी ब्राह्मण युवक ने पहले फल की कीमत पर आपत्ति जताई, जिस पर विक्रेता ने शांतिपूर्वक उत्तर दिया। लेकिन बात बढ़ गई और आरोपी ने न केवल गाली-गलौज शुरू कर दी बल्कि जातिगत अपमान करते हुए हाथापाई पर उतारू हो गया। शोर-शराबा सुनकर मौके पर बड़ी संख्या में भीड़ इकट्ठा हो गई। जब कुछ लोगों ने आरोपी का विरोध किया तो उसने भीड़ से भी बदसलूकी करते हुए सबको देख लेने की धमकी दी।






पुलिस के द्वारा निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी

आश्चर्यजनक रूप से, घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने आरोपी को पकड़ने की बजाय ब्राह्मण युवक के इशारे पर कुछ निर्दोष लोगों को ही हिरासत में ले लिया। स्थानीय लोगों के अनुसार, गिरफ्तार किए गए युवकों को बिना किसी ठोस आरोप के रात भर थाने में बैठाया गया और सुबह छोड़ा गया।






बिना किसी महिला पुलिस के मौजूदगी में पुलिस ने घर में घुसकर महिला से जोर जबरदस्ती करते हुए एक को पकड़ा



            लड़की के साथ बदसलूकी



स्थानीय महिलाओं और लोगों का आरोप है कि पुलिस ने बिना महिला पुलिसकर्मी की मौजूदगी के जबरन एक घर में घुसकर एक महिला के साथ बदसलूकी की और उसके परिजन को जबरदस्ती उठा ले गई। इससे क्षेत्र में आक्रोश और तनाव फैलने का माहौल है।



थाने में युवक को पीटने का आरोप

स्थानीय लोगों का आरोप है कि थाने में कुछ प्रभावशाली ब्राह्मण युवक घंटों तक डटे रहे और उसी दौरान एक युवक को पुलिस ने हिरासत में लेकर पीटा।



युवा समाजसेवी सत्यम सोनकर का बयान:


"चकिया बाजार की घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जातीय अहंकार आज भी जिंदा है। एक दलित युवक को केवल इसलिए अपमानित किया गया क्योंकि वह एक मेहनतकश फल विक्रेता है और उसने ब्राह्मण युवक के सामने सिर नहीं झुकाया। न केवल उसे सरेआम जातिसूचक गालियां दी गईं, बल्कि बाद में ब्राह्मणों ने थाने में बैठकर पुलिस की मिलीभगत से उसे पिटवाया। यह दलित समाज के खिलाफ सुनियोजित मानसिकता का उदाहरण है।"



स्थानीय वर्तमान सभासद का मामले में बयान:



"जो घटना चकिया बाजार में हुई, वह बेहद निंदनीय और चिंताजनक है। एक दलित युवक के साथ जातिसूचक गालियां देना, उसे धमकाना और फिर थाने में बैठाकर पिटवाना, ये सब सभ्य समाज में स्वीकार नहीं किया जा सकता। हम यहां के जनप्रतिनिधि हैं और हम यह अन्याय नहीं सहेंगे।"

"पुलिस की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध रही है। सवाल उठता है कि आखिर आरोपी ब्राह्मण युवक को खुली छूट क्यों दी गई और निर्दोष लोगों को क्यों थाने में रात भर बैठाया गया? बिना महिला पुलिस की मौजूदगी के घर में घुसकर महिला से बदसलूकी करना पूरी तरह कानून का उल्लंघन है।"



क्षेत्राधिकारी चकिया नामेंद्र कुमार का बयान:


"चकिया बाजार में हुई घटना को गंभीरता से लिया गया है। पुलिस को निष्पक्ष और विधिसम्मत कार्यवाही करने के निर्देश दिए गए हैं। पीड़ित द्वारा दी गई तहरीर के आधार पर आवश्यक धाराओं में मुकदमा दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है।"


"पुलिस पर लगाए गए आरोपों की भी जांच कराई जा रही है। यदि किसी भी पुलिसकर्मी की लापरवाही या पक्षपात सामने आता है तो उस पर भी नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। किसी निर्दोष को फंसाना या आरोपी को बचाना, दोनों ही अस्वीकार्य हैं। हम कानून के तहत सभी को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

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