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Thursday, December 24, 2020

6 करोड़ घरों में DTH कनेक्शन, बेहतर सेवा के लिए सरकार ने बदले नियम



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में DTH सेवा को लेकर कई बड़े फैसले लिए गए. सरकार का कहना है कि इस सेक्टर में 100 फीसदी विदेशी निवेश के लिए दरवाजे अब पूरी तरह से खुल गए हैं. साथ ही इस सेक्टर में रोजगार के नए अवसर भी हैं. फिलहाल देश में करीब 18 करोड़ टीवी हैं. इनमें से 6 करोड़ घरों में डीटीएच कनेक्शन हैं. कैबिनेट में लिए गए फैसले इस प्रकार हैं।

1. डीटीएच के लिए लाइसेंस वर्तमान 10 वर्ष की अपेक्षा अब 20 वर्ष की अवधि के लिए जारी किया जाएगा. यानी अब डीटीएच लाइसेंस 20 साल के लिए जारी किया जाएगा।

2. लाइसेंस शुल्‍क को जीआर के 10 प्रतिशत से एजीआर के 8 प्रतिशत तक संशोधित किया गया है. जीआर से जीएसटी को घटाकर एजीआर की गणना की जाएगी।

3. लाइसेंस शुल्‍क वर्तमान में वार्षिक आधार के स्‍थान पर अब तिमाही आधार पर इकट्ठा किया जाएगा. यानी लाइसेंस फीस का कलेक्शन तिमाही आधार पर होगा. इससे सरकार की लगातार कमाई भी होती रहेगी और डीटीएच सेवा देने वाली कंपनियों पर भी बोझ नहीं बढ़ेगा।

4. DTH संचालकों को उनके द्वारा दिखाए जाने वाले कुल अनुमति प्राप्‍त प्‍लेटफॉर्म चैनलों की क्षमता से अधिकतम 5 प्रतिशत के संचालन को अनुमति दी जाएगी. एक डीटीएच संचालक से प्रति पीएस चैनल के लिए 10,000 रुपये का नॉन-रिफंडेबल पंजीकरण शुल्‍क लिया जाएगा।

. मौजूदा डीटीएच दिशा-निर्देशों में 49 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को समय-समय पर संशोधित एफडीआई के अनुसार सरकार की वर्तमान (डीपीआईआईटी) नीति के अनुरूप संरेखित किया जाएगा. इस क्षेत्र में 100 फीसदी FDI का रास्ता साफ कर दिया गया है. इस क्षेत्र में 100 फीसदी एफडीआई की मंजूरी पहले से थी, लेकिन सूचना प्रसारण मंत्रालय के नियमों के कारण यह संभव नहीं था. आज की बैठक में उसमें बदलाव का फैसला लिया गया है।

संशोधित डीटीएच दिशा-निर्देशों के अनुरूप निर्णय प्रभावी होगा और इसे सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किया जाएगा. डीटीएच क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं हैं. यह सीधे तौर पर डीटीएच संचालकों को रोजगार देने के साथ-साथ कॉल सेंटरों में कार्यरत कार्मिकों के अलावा जमीनी स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से काफी बड़ी संख्या में इन्सटॉलरों को रोज़गार प्रदान करता है।

सरकार के मुताबिक प्लेटफॉर्म सेवाओं के लिए पंजीकरण शुल्क से करीब 12 लाख रुपये के राजस्व सृजन की संभावना है. डीटीएच संचालकों के द्वारा बुनियादी ढांचे को साझा करने से दुर्लभ उपग्रह संसाधनों का उपयोग और कुशल तरीके से करते हुए ग्राहकों के द्वारा अदा की जाने वाली शुल्क लागतों को कम किया जा सकता है।

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