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Friday, October 30, 2020

BHU आयुर्वेद विभाग में शुरू हुआ अनोखा इलाज, अब मां के गर्भ में ही शिशु सीखेंगे संस्कार



वाराणसी  - आपने महाभारत के किरदारों में अभिमन्यु के बारे में सुना ही होगा, जिसने गर्भ संस्कार के माध्यम से गर्भ में ही चक्रव्यूह को भेदना सीख लिया था. अब उसी तर्ज पर गर्भ संस्कार की अनोखी शुरुआत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद विज्ञान विभाग ने की है. इसके तहत अब पेट में पलने वाले शिशु को गर्भ संस्कार थेरेपी देने की शुरुआत की गई है. थेरेपी में गर्भ में आए शिशु को जन्म से पहले ही संस्कार दिया जाएगा, जो उसके जन्म के बाद समाज की कुरीतियों से बचने में मददगार साबित होगा.

बीएचयू आयुर्वेद विभाग की इस अनोखी थेरेपी से शिशु गर्भ में ही संस्कार सीखेगा. इस अनोखी थेरेपी के अंतगर्त यहां आने वाली गर्भवती महिलाओं को संगीत थेरेपी, वेद थेरेपी, ध्यान थेरेपी और पूजापाठ थेरेपी के जरिये गर्भ में पलने वाले शिशु का पालन पोषण किया जाएगा.

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के सर सुंदर लाल अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट एसके माथुर ने बताया कि आयुर्वेद विज्ञान में ये क्रिया बहुत पहले से चली आ रही है लेकिन आधुनिक अस्पतालों में इसे बंद कर दिया. अब इसे एक बार फिर से हम शुरू कर रहे हैं. मेडिकल उपचार में गर्भवती महिलाओं के लिए ये जरूरी होता है. विज्ञान के अनुसार गर्भ में पल रहा बच्चा 3 महीने बाद हलचल करना शुरू कर देता है. ऐसे में जो मां ग्रहण करती है, शिशु उसे ग्रहण करता है. फिर चाहे वो खाने की चीज हो या संस्कार.

आयुर्वेद विभाग की हेड डॉ. सुनीता बताती हैं कि इन थेरेपियों के अंतर्गत यहां आने वाली महिलाओं को वेद पढ़ने के लिए दिए जाएंगे. इसके साथ ही उन्हें पूजापाठ करने की सलाह दी जाएगी. इसके अलावा एडमिट महिलाओं को भजन संगीत सुनाया जाएगा. गर्भवती महिलाओं को महापुरुषों के आचरण के विषय में किताबे पढ़कर सुनाई जाएंगी. डॉक्टरों का कहना है कि पेट में पलने वाले शिशु जो माहौल पाते हैं, उसी आचरण के साथ जन्म लेते हैं. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को ये माहौल देना जन्म लेने वाले बच्चों के लिए वरदान साबित होगा ।।

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