लोकपति सिंह (जिला संवाददाता)
इलिया। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के चलते पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसका परिणाम कोरोना जैसी महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। यह बातें विश्व जैव विविधता दिवस के पूर्व संध्या पर गुरुवार को कटवांमाफी गांव निवासी वृक्ष बंधु परशुराम सिंह ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। कहा कि आज समूचा विश्व पर्यावरण प्रदूषण के संकट से जूझ रहा है। प्रकृति के साथ हुए छेड़छाड़ का नतीजा है कि जल, थल, नभ में रहने वाले जीव धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। मौसम तथा आपदा की सटीक जानकारी रखने वाले पक्षियों का क्षरण होता जा रहा है। प्रदूषण को दूर कर पर्यावरण में सहायक पक्षी घर गौरैया, गिद्ध, चील, कौवा, कुत्ता, बिल्ली धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। इसी तरह पानी के अंदर रहने वाले कछुआ, मगरमच्छ, घड़ियाल आदि जीव-जंतुओं का क्षय होता जा रहा है। जो मानव जीवन के लिए गंभीर खतरे की निशानी है। बढ़ते प्रदूषण के चलते मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। जिसके कारण करोना जैसे महामारी से लड़ने की क्षमता मानव खोता जा रहा है। इन सभी समस्याओं से को दूर करने के लिए एकमात्र विकल्प धरती पर अधिक से अधिक मात्रा में वृक्ष लगाना होगा। तभी पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्या से निजात पाया जा सकता है। और मानव जीवन को होने वाले खतरे से बचाया जा सकता है।
इलिया। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ के चलते पर्यावरण प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। जिसका परिणाम कोरोना जैसी महामारी से पूरा विश्व जूझ रहा है। यह बातें विश्व जैव विविधता दिवस के पूर्व संध्या पर गुरुवार को कटवांमाफी गांव निवासी वृक्ष बंधु परशुराम सिंह ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कही। कहा कि आज समूचा विश्व पर्यावरण प्रदूषण के संकट से जूझ रहा है। प्रकृति के साथ हुए छेड़छाड़ का नतीजा है कि जल, थल, नभ में रहने वाले जीव धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। मौसम तथा आपदा की सटीक जानकारी रखने वाले पक्षियों का क्षरण होता जा रहा है। प्रदूषण को दूर कर पर्यावरण में सहायक पक्षी घर गौरैया, गिद्ध, चील, कौवा, कुत्ता, बिल्ली धीरे-धीरे समाप्त होते जा रहे हैं। इसी तरह पानी के अंदर रहने वाले कछुआ, मगरमच्छ, घड़ियाल आदि जीव-जंतुओं का क्षय होता जा रहा है। जो मानव जीवन के लिए गंभीर खतरे की निशानी है। बढ़ते प्रदूषण के चलते मनुष्य की प्रतिरोधक क्षमता धीरे-धीरे समाप्त होती जा रही है। जिसके कारण करोना जैसे महामारी से लड़ने की क्षमता मानव खोता जा रहा है। इन सभी समस्याओं से को दूर करने के लिए एकमात्र विकल्प धरती पर अधिक से अधिक मात्रा में वृक्ष लगाना होगा। तभी पर्यावरण प्रदूषण जैसी समस्या से निजात पाया जा सकता है। और मानव जीवन को होने वाले खतरे से बचाया जा सकता है।




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