खण्ड विकास अधिकारी के सह पर शहाबगंज ब्लॉक में मनरेगा का खुला फर्जीवाड़ा — 60 मजदूर काग़ज़ों पर, ज़मीन पर सन्नाटा
पुरानी फोटो लगाकर, नाम किसी और का और काम कोई और कर रहा, फर्जी हाजिरी भरकर निकाला जा रहा लाखों का भुगतान
चंदौली/शहाबगंज। प्रदेश सरकार द्वारा ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से चलाई जा रही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) शहाबगंज ब्लॉक में भ्रष्टाचार का शिकार होती दिखाई दे रही है। मुबारकपुर ग्राम पंचायत में ब्लॉक प्रमुख निधि से संचालित मनरेगा कार्यों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े और सरकारी धन के दुरुपयोग के गंभीर आरोप सामने आए हैं।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुरानी फोटो लगाकर, नाम किसी और का और काम कोई और कर रहा है—यानी मास्टर रोल में बड़े पैमाने पर फर्जी हाजिरी भरकर भुगतान निकाला जा रहा है।
60 मजदूर केवल कागजों पर दर्ज हैं, जबकि धरातल पर काम या मजदूरों की मौजूदगी शून्य बताई जा रही है।
संदिग्ध कार्यों का विवरण
कार्य कोड: 3171008/एलडी/958486255824945020
एमएसआर नंबर: 12465
कार्य का नाम:
मुबारकपुर में सोमारू के खेत से लोलारक के खेत तक बंधी निर्माण
मजदूर दर्शाए गए: 17
कार्य कोड: 3171008/एलडी/958486255824876657
एमएसआर नंबर: 12437
कार्य का नाम:
मुबारकपुर में रजिंदर के खेत से मुलायम के खेत तक चकरोड पर मिट्टी का कार्य
मजदूर दर्शाए गए: 43
कुल मिलाकर 60 मजदूरों की फर्जी हाजिरी दिखाकर भुगतान निकालने का खेल चल रहा है।
पंचायती प्रतिनिधि का बड़ा बयान
क्षेत्र पंचायत सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया—
> “ब्लॉक से लेकर जिला तक कमीशन जाता है, तभी तो मनरेगा में इतना बड़ा खेल खेला जा रहा है। यहाँ सब एक-दूसरे को बचाने में लगे हैं।
प्रतिनिधि के अनुसार सत्ता पक्ष का संरक्षण मिलने के कारण ही वीडियोग्राफी व जांच कार्यवाही भी दबा दी जाती है, जिससे भ्रष्टाचार पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती।
ग्रामीणों की पीड़ा
ग्रामवासियों ने बताया—
कभी काम होता ही नहीं, फिर भी उपस्थिति दर्ज हो जाती है।
जिनके नाम हाजिरी में हैं, उन्होंने काम किया ही नहीं।
वास्तविक मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा, जबकि भुगतान "घोस्ट मजदूरों" के नाम निकाला जा रहा।
एक ग्रामीण ने आक्रोश जताते हुए कहा—
> “मनरेगा गरीबों के लिए बनी योजना थी, लेकिन यहाँ तो यह कमीशनखोरी और लूट का अड्डा बन चुकी है।”
प्रशासनिक बयान
इस संबंध में जब खंड विकास अधिकारी शहाबगंज, दिनेश सिंह से बात की गई, तो उन्होंने कहा—
> “मामला संज्ञान में है, जांच कराकर कार्रवाई की जाएगी।”
लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि
ये बयान केवल कागजों तक सीमित रह जाते हैं, धरातल पर कार्रवाई कभी नहीं दिखती।
वहीं डीसी मनरेगा से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन फोन रिसीव नहीं किया गया, जिससे विभागीय चुप्पी और संदेह को और गहरा कर रही है।
⚠️ सबसे बड़ा सवाल
आखिर घोस्ट मजदूरों का भुगतान कौन करा रहा है?
फर्जी मास्टर रोल की पुष्टि के बाद भी अब तक कोई निलंबन क्यों नहीं?
क्या वाकई कमीशन की जड़ें ब्लॉक से जिला स्तर तक फैली हैं?
अगर समय रहते उच्चस्तरीय जांच नहीं हुई, तो मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाएगी।














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