शहाबगंज में मनरेगा घोटाला: मुबारकपुर में 59 मजदूर सिर्फ कागजों पर, धरातल पर सन्नाटा — ग्रामीणों का आरोप, “कमीशन लेकर हवा में चल रहे पुरानी फोटो से काम”
बीडीओ कार्यालय में बैठकर एसी की ठंडक में बयान जारी करते है
शहाबगंज (चंदौली)। मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार देकर विकास कार्यों को ज़मीनी स्तर पर गति देना है, लेकिन शहाबगंज ब्लॉक की मुबारकपुर ग्राम पंचायत में यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ती नजर आ रही है। ग्रामीणों और क्षेत्र पंचायत सदस्यों के गंभीर आरोप हैं कि यहां ब्लॉक प्रमुख निधि से कराए जा रहे मनरेगा कार्यों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। मजदूरों की हाजिरी केवल कागजों में दर्ज है, जबकि मौके पर न तो मजदूर दिखते हैं और न ही गुणवत्ता वाला कोई कार्य।
ग्रामीणों का कहना है कि सत्ता पक्ष का संरक्षण होने के कारण वीडियो जांच तक में अधिकारी नतमस्तक नजर आते हैं, और वास्तविक जांच की बजाय “सब कुछ ठीक” दिखाने की औपचारिकता निभाई जा रही है। आरोप है कि पुरानी तस्वीरें लगाकर फर्जी मास्टर रोल भरे जा रहे हैं, नाम किसी और के दर्ज हैं, जबकि काम दूसरे लोग दिखाकर भुगतान निकाला जा रहा है।
59 मजदूर सिर्फ कागजों पर
ग्रामीणों ने दो प्रमुख कार्यों में व्यापक अनियमितता की जानकारी दी है—
कार्य-1
ब्लॉक: शहाबगंज, पंचायत: मुबारकपुर
कार्य कोड: 3171008/एलडी/958486255824945020
एमएसआर संख्या: 12465
कार्य का नाम: सोमारू के खेत से लोलारक के खेत तक बंधी निर्माण
दर्ज मजदूर: 16
ग्रामीणों का दावा: स्थल पर मजदूर लगभग शून्य, काम बेहद धीमा या बंद
कार्य-2
ब्लॉक: शहाबगंज, पंचायत: मुबारकपुर
कार्य कोड: 3171008/एलडी/958486255824876657
एमएसआर संख्या: 12437
कार्य का नाम: रजिंदर के खेत से मुलायम के खेत तक चकरोड पर मिट्टी कार्य
दर्ज मजदूर: 43
ग्रामीणों का दावा: न तो मजदूर मौजूद, न ही कार्य की वास्तविक प्रगति
दोनों कार्यों में मिलाकर कुल 59 मजदूर कागजों पर दर्ज हैं, जबकि धरातल पर काम न के बराबर बताया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार यह सीधे तौर पर सरकारी धन के बंदरबांट का मामला है।
“ब्लॉक से जिला तक जाती है कमीशन की चेन”
एक क्षेत्र पंचायत सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया—
> “यह खेल अकेले पंचायत स्तर पर नहीं चल रहा, ब्लॉक से लेकर जिला तक कमीशन जाता है, तभी इतनी खुली धांधली संभव है। जो बोले, उसे चुप करा दिया जाता है या फाइलों में उलझा दिया जाता है।”
ग्रामीणों ने भी आरोप लगाया कि निरीक्षण के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। वास्तविक स्थिति देखने के बजाय पुरानी तस्वीरों और अपलोड किए गए दस्तावेजों के आधार पर भुगतान पास कराया जा रहा है।
बीडीओ का बयान, लेकिन कार्रवाई पर सवाल
इस पूरे मामले पर खंड विकास अधिकारी शहाबगंज, दिनेश सिंह ने बताया—
> “मामला संज्ञान में आया है, जांच कर कार्रवाई की जाएगी।”
हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे बयान सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाते हैं, धरातल पर ठोस कार्रवाई आज तक देखने को नहीं मिली। लोगों का आरोप है कि बीडीओ कार्यालय में बैठकर एसी की ठंडक में बयान जारी कर देते हैं, लेकिन मौके पर जाकर जांच करने या दोषियों पर कार्रवाई करने का साहस नहीं दिखाया जाता।
डीसी मनरेगा से संपर्क नहीं
जब इस संबंध में डीसी मनरेगा से बात करने की कोशिश की गई, तो फोन नहीं उठाया गया, जिससे प्रशासनिक गंभीरता पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
ग्रामीणों का सवाल—“जवाब कौन देगा?”
मुबारकपुर के ग्रामीणों का साफ कहना है—
अगर मजदूरों ने काम किया है तो वे मैदान में कहां हैं?
अगर काम हुआ है तो गुणवत्ता और प्रगति नजर क्यों नहीं आ रही?
यदि फर्जी मास्टर रोल भरे गए हैं तो भुगतान किसके खातों में गया?
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से इस पूरे प्रकरण की स्वतंत्र व निष्पक्ष जांच कराने, कार्यस्थल का स्थलीय सत्यापन, संबंधित अधिकारियों व पंचायत प्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने और दोषियों से सरकारी धन की वसूली की मांग की है।
अब बड़ा सवाल यही है—
क्या प्रशासन इस खुली लूट पर कोई ठोस कदम उठाएगा, या फिर “जांच चल रही है” के नाम पर मामले को फाइलों में दफन कर दिया जाएगा?
मुबारकपुर के ग्रामीण जवाब का इंतजार कर रहे हैं।


















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